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Monday, June 27, 2011

मैं मुस्कुराना चाहता हुॅ






अनसुलझी बातों को सुलझाना चाहता हुॅ
तेरे बगैर अब मैं मुस्कुराना चाहता हुॅ।

दिल की आरजु कि एक बार मिलुॅ तुमसे
जिदां हुॅ मैं, तुम्हें बताना चाहता हुॅ।

झड़ जाते हैं जिन दरख्तों के पत्ते पतझड़ में
आती है उनपर भी बहारें, तुम्हे दिखाना चाहता हुॅ।

टुटा था जो साज ‘ए’ दिल तेरे चले जाने से
उसमें बजती हुई जलतरंगों को तुम्हें सुनाना चाहता हुॅ।

अनसुलझी बातों को सुलझाना चाहता हुॅ
तेरे बगैर अब मैं मुस्कुराना चाहता हुॅ।


Tuesday, June 21, 2011

दरिया-ए-अजाब



चित्र गुगल साभार



जब से तुम्हें चाहा मैनें
क्या कहे क्या हाल है।
जिंदगी अब जिंदगी नहीं
एक दरिया-ए-अजाब है।

तन्हाई में भी चैन नहीं
महफिल में भी दिल उदास है।
कहॉ जाउॅ क्या करू मैं
अब तिश्नगी बेहिसाब है।

दिल पर अब इख्तियार नहीं
मुश्किल हुआ इजहार है।
काश! तुम मेरे होते
कितना हॅसी ये ख्वाब है।

Thursday, June 9, 2011

कितने गम छुपे है तेरे खजाने में.........


चित्र गुगल साभार



तेरी परस्तिश में घर से आ गये मयखाने में
देखें और कितने गम छुपे है तेरे खजाने में।

न काटो उन दरख्तों को जिस पर है परिंदों के घोसलें
उम्र गुजर जाती है लोगों की एक आशियॉ बनाने में।

न कर कोशीश कभी तुफानों का रूख मोड़ने की
कश्तियॉ टुट जाती है समंदर को आजमाने में।

कितने इतंजार के बाद आई है ये वस्ल की रात
बीत न जाए कही बस ये रूठने मनाने में।

Thursday, June 2, 2011


चित्र गुगल साभार



सजदे में जब उसने अपने हाथों को उठाया होगा
जेहन ‘ओ’ दिल में उसके मेरा ख्याल आया होगा।

तैर जाती है लबों पर उनकी हल्की तबस्सुम की लकीरें
हवाओं ने धीरे से जाकर मेरा हाल ‘ए’ दिल बताया होगा।

उनके रूखसारों पे आ गई जो लाली यक-ब-यक
उनकी महफिल में किसी ने मेरा जिक्र चलाया  होगा।

दिल ‘ए’ बेकरारी को वो किसे सुनाए मौला
कमरे में उसने एक आईना लगवाया होगा।

लोगों की नजरों से मुझे बचाने के लिए ‘अमित’
मेरे नाम को उसने हथेलियों में छुपाया होगा।