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Friday, August 12, 2011

अपने हाथों युॅ न करों र्निवस्त्र मुझे......


चित्र गुगल साभार




रास्ते में मैने एक बुढ़िया को देखा बदहवास
ऑखों में था पानी और चेहरे से थी उदास।

पुछा कौन हो तुम और किसने किया तुम्हारा ये हाल
जिदंगी आगे और भी है जरा अपने आप को संभाल।

बोली - बेटा अपनी हालत तुमसे कैसे करू बयान
कैसे दिखाउॅ तुम्हे अपने बदन पे जख्मों के निशान।

मेरे चाहने वाले ही मेरी हालत के जिम्मेदार है
कैसे कहुॅ कि वो मेरे दुध के कर्जदार है।

मेरे बेटों ने ही मेरा ये हाल बनाया है
देखो किस तरह उन्होनें दुध का कर्ज चुकाया है।

मैने कहा चल मेरे साथ तेरा ये बेटा अभी जिदां है
पोछ ले तु ऑसु अपने क्यों खुद पे तु शर्मिदां है।

कहॉ ले जाओगे मुझे मैं एक लुटी हुई कारवॉ हुॅ
बेटा मै कोई और नही तेरी अपनी ही भारत मॉ हुॅ।

बख्श दो अब और न करो युॅ त्रस्त मुझे
अपने हाथों युॅ न करों र्निवस्त्र मुझे।  

7 comments:

  1. बख्श दो अब और न करो युॅ त्रस्त मुझे
    अपने हाथों युॅ न करों र्निवस्त्र मुझे।

    कितने बेशर्म हैं हम कि लाज आती नहीं
    मां के इस हालात पर भी रूह शर्माती नहीं
    बहुत सुन्दर

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  2. बख्श दो अब और न करो युॅ त्रस्त मुझे
    अपने हाथों युॅ न करों र्निवस्त्र मुझे।
    ऑंखें खोलेन में सक्षम पोस्ट आपका आभार रक्षाबंधन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें

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  3. बहुत सुन्दर सारगर्भित,
    रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं तथा बधाई

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  4. उफ़ भारत माँ के दर्द को शब्द दे दिये।

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  5. भारत माँ के दर्द को सटीक शब्दों से और मार्मिक तरह से उकेरा है आपने..

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  6. सार्थक अभिवयक्ति....

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  7. बख्श दो अब और न करो युॅ त्रस्त मुझे
    अपने हाथों युॅ न करों र्निवस्त्र मुझे।

    बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..

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