चित्र गूगल साभार
कब से खड़ा हुॅ राहों में बस एक इल्तिजा लिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
अब बर्दाश्त नहीं होता ये ग़म ए जुदाई का एहसास
मेरे इंतजार का अब कोई तो सिला दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
यॅू तो लाखों है आपकी राहो में इश्क ए चराग जलाए हुए
नजर भर कर कभी हमें भी देखा किजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
बस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
और कुछ न मॉगेंगे हम खुदा से
हमें अपना हमसफर बना लिजिए
गैर बन कर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।