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Sunday, November 10, 2013

जख्म का क्या है कभी तो ये भर जाएगा...........


चित्र गूगल साभार






जख्म का क्या है कभी तो ये भर जाएगा
तेरे सितम का ऐ सितमगर निशाँ छोड़ जाएगा।

अश्क है, दर्द है और गम-ए-तन्हाई है
ईश्क है, देख अभी क्या-क्या गुल खिलाएगा।

अब्र का रिश्ता धरा से इस कदर है लिल्लाह
देखकर प्यासी उसे वो खुद ही बरस जाएगा।

बिक गया इन्साँ यहाँ कौड़ियों के दाम में
तेरे इस जहाँ में अब पत्थर ही पूजा जाएगा।

नींद और आँखों में अब दुश्मनी सी हो गई
ख्वाब इन आँखों में तेरे कौन अब सजाएगा।