एक लंबे अतंराल के बाद एक बार फिर से आप सभी लोगों के साथ आना अच्छा लग रहा है। कुछ व्यस्तता थी जिसकी वजह से लगभग डेढ़ महीने नेट चलाया ही नही। अब एक बार फिर से आप सभी के पास आ गया हुं। आशा है आप सभी लोगों का स्नेह और प्यार पहले की तरह ही हमें मिलता रहेगा।
किसी से सुना था मैंने
इस बार छुटि्टयों मेंकुछ दिनों के लिए ही सही
तुम यहॉ आई थी।
सोए हुए ख्वाब
फिर से जाग गए।
दिल की गहराईयों में
फिर कहीं
एक आस की किरण
अपने पंख
फड़फड़ाने लगी।
इस ख़्याल से कि
कुछ पल के लिए ही सही
कम से कम
एकबार तो जरूर
मिलने आओगी।
प्यार के रिश्ते को ना सही
दोस्ती का रिश्ता तो
अवश्य निभाओगी।
निगाहें खुद ब खुद
उठ जाती थी
उन राहों पर
जिनसे तुम
गुजरा करती थी।
निगाहें
हर आने जाने वालों में
तुम्हारा चेहरा
तलाश करती थी।
दिन गुजरते गए
और हर गुजरते दिनों के साथ
मैं दिल को समझाता रहा
शायद अगले दिन
उससे मुलाकात हो।
अचानक तभी
उसने आकर बताया
तुम सबेरे वाली बस से
वापस चली गई।
मैंने दिल को
तसल्ली दी (झुठी ही सही)
और खुद को बहलाया।
अरे क्या हुआ
जो वो नही आए
कम से कम उनका
ख़्याल तो आया।