इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Saturday, April 30, 2011

दिल का दर्द.............



चित्र गुगल साभार




दिल के दर्द को जब हम संभाल न पाए
अश्क बन कर ये मेरी आखों में उतर आए।

मुस्कुराते हैं हम जमाने के सामने
कहीं मेरा प्यार रूसवा न हो जाए।

रेत पर लिखी तहरीरों को मिटाने से क्या फायदा
हाथ में बनी लकीरों को किस तरह मिटाए।

आना मेरी मजार पर इजाजत है तुम्हें
जब जिस्म से मेरी रूह फना हो जाए।

17 comments:

  1. मन की पीडा शब्दो मे उतर आयी है

    ReplyDelete
  2. सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  3. रेत पर लिखी तहरीरों को मिटाने से क्या फायदा
    हाथ में बनी लकीरों को किस तरह मिटाए।
    खुबसूरत शेर , मुबारक हो

    ReplyDelete
  4. bhut hi khubsurati se sabdo ka prayog kiya hai apne...

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर बधाई

    ReplyDelete
  6. आना मेरी मजार पर इजाजत है तुम्हें
    जब जिस्म से मेरी रूह फना हो जाए।

    क्या बात कही सर!

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर बधाई

    ReplyDelete
  8. आना मेरी मजार पर इजाजत है तुम्हें
    जब जिस्म से मेरी रूह फना हो जाए।

    सुंदर और भावमयी रचना है।

    ReplyDelete
  9. बेहद प्रभावी अंदाज़ ....साथ में चित्र ....क्या बात है...आभार !

    ReplyDelete
  10. अमित जी ,

    रचना के साथ जो चित्र आपने लगाया है .............क्या कहूँ, दर्द की पराकाष्ठा प्रकटित हो रही है |

    ReplyDelete
  11. आना मेरी मजार पर इजाजत है तुम्हें
    जब जिस्म से मेरी रूह फना हो जाए।
    वाह जी वाह ... बहुत सुन्दर
    शुभकामनाये ...
    avinash001.blogspot.com

    ReplyDelete
  12. सुंदर और भावमयी रचना है।

    ReplyDelete
  13. dil ke dard ko baya karne me sashakt shabdo ka prayog kiya hai.

    ReplyDelete
  14. बेहद संजीदगी भरी रचना है आपकी

    ReplyDelete