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Saturday, January 14, 2012

अजनबी से मोहब्बत का इजहार कर बैठे............


चित्र गूगल साभार 




अजनबी से मोहब्बत का इजहार कर बैठे
सरे राह अपनी मौत का इकरार कर बैठे।

दोस्तों की हमें कोई खबर न थी
दुश्मनों से मिले और प्यार कर बैठे।

हुआ कुछ इस कदर ये इत्फाक देखिए
नबीं को भी हम इनकार कर बैठे।

खामोश जिदंगी और अफ़सुर्दा चौबारे हैं
तन्हाई को तेरी यादों से गुलजार कर बैठे।

22 comments:

  1. अजनबी से मोहब्बत का इजहार कर बैठे
    सरे राह अपनी मौत का इकरार कर बैठे......आय - हाय, क्या बात है.

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  2. उसने कुछ समझा ही नहीं ओर हम तकरार कर बैठे
    उसने कुछ जाना ही नहीं ओर हम प्यार कर बैठे|...अनु

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  3. बहुत खूब , शुभकामनाएं.

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें

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    1. सर कृपया शर्मिंदा न करें. आप हम से उम्र और तजुर्बे में बड़े है. मैं अपने आपको खुशकिस्मत समझता हूँ कि आप लोगो का प्यार और आशीर्वाद हमे मिलता है.

      सादर.

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  4. बहुत बढ़िया सर!


    सादर

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  5. इतने किस्से-कहानियों के बाद भी आदमी घूम-फिरकर वहीं पहुंचता है। हद है!

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    1. क्या करें सर जी दुनिया गोल जो है. जहाँ से चलेंगें आखिर घूम फिर कर वही तो पहुचंगे.

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  6. वाह बहुत खूब साहब|

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  7. मुहब्बत कुछ ऐसी होती ही है ..!
    बहुत खूबसूरत प्रस्तुति !
    बधाई !

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  8. सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति ||

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  9. बहुत खूब अच्छी प्रासंगिक रचना बधाई स्वीकार करें |

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  10. दोस्तों की हमें कोई खबर न थी
    दुश्मनों से मिले और प्यार कर बैठे...

    कुछ दोस्त अमानत में खयानत करते हैं ... ये रीत है जीवन की ...

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  11. खामोश जिदंगी और अफ़सुर्दा चौबारे हैं
    तन्हाई को तेरी यादों से गुलजार कर बैठे।
    गजब का शेर , मुबारक हो

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  12. बहुत ही सुन्दर रचना है आप की , पंक्तियाँ दिल को छू गयी ,पहली बार आप का ब्लॉग देखा ,आप को फोलो के रही हूँ,उम्मीद है आप की रचनाये फिर खीच लाएगी यहाँ .......

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  13. दोस्तों की हमें कोई खबर न थी
    दुश्मनों से मिले और प्यार कर बैठे।

    ...बहुत खूब...बेहतरीन प्रस्तुति..

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  14. क्या करे ये प्यार होती हि ऐसी
    है, तभी तो कहते है कि प्यार अंधा होता है ,
    बेहतरीन रचना है

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