चित्र गूगल साभार
अजनबी से मोहब्बत का इजहार कर बैठे
सरे राह अपनी मौत का इकरार कर बैठे।
दोस्तों की हमें कोई खबर न थी
दुश्मनों से मिले और प्यार कर बैठे।
हुआ कुछ इस कदर ये इत्फाक देखिए
नबीं को भी हम इनकार कर बैठे।
खामोश जिदंगी और अफ़सुर्दा चौबारे हैं
तन्हाई को तेरी यादों से गुलजार कर बैठे।
अजनबी से मोहब्बत का इजहार कर बैठे
ReplyDeleteसरे राह अपनी मौत का इकरार कर बैठे......आय - हाय, क्या बात है.
उसने कुछ समझा ही नहीं ओर हम तकरार कर बैठे
ReplyDeleteउसने कुछ जाना ही नहीं ओर हम प्यार कर बैठे|...अनु
बहुत खूबसूरत...
ReplyDeleteवाह ..क्या बात है ..
ReplyDeletebahut sunder ........
ReplyDeletebahut khoob....
ReplyDeleteबहुत खूब , शुभकामनाएं.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें
सर कृपया शर्मिंदा न करें. आप हम से उम्र और तजुर्बे में बड़े है. मैं अपने आपको खुशकिस्मत समझता हूँ कि आप लोगो का प्यार और आशीर्वाद हमे मिलता है.
Deleteसादर.
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
ग़ज़ल बहुत अच्छी है।
ReplyDeletekhoob
ReplyDeleteइतने किस्से-कहानियों के बाद भी आदमी घूम-फिरकर वहीं पहुंचता है। हद है!
ReplyDeleteक्या करें सर जी दुनिया गोल जो है. जहाँ से चलेंगें आखिर घूम फिर कर वही तो पहुचंगे.
Deleteवाह बहुत खूब साहब|
ReplyDeleteमुहब्बत कुछ ऐसी होती ही है ..!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति !
बधाई !
सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति ||
ReplyDeleteबहुत खूब अच्छी प्रासंगिक रचना बधाई स्वीकार करें |
ReplyDeleteदोस्तों की हमें कोई खबर न थी
ReplyDeleteदुश्मनों से मिले और प्यार कर बैठे...
कुछ दोस्त अमानत में खयानत करते हैं ... ये रीत है जीवन की ...
खामोश जिदंगी और अफ़सुर्दा चौबारे हैं
ReplyDeleteतन्हाई को तेरी यादों से गुलजार कर बैठे।
गजब का शेर , मुबारक हो
बहुत ही सुन्दर रचना है आप की , पंक्तियाँ दिल को छू गयी ,पहली बार आप का ब्लॉग देखा ,आप को फोलो के रही हूँ,उम्मीद है आप की रचनाये फिर खीच लाएगी यहाँ .......
ReplyDeleteदोस्तों की हमें कोई खबर न थी
ReplyDeleteदुश्मनों से मिले और प्यार कर बैठे।
...बहुत खूब...बेहतरीन प्रस्तुति..
क्या करे ये प्यार होती हि ऐसी
ReplyDeleteहै, तभी तो कहते है कि प्यार अंधा होता है ,
बेहतरीन रचना है