चित्र गुगल साभार
अन्ना हजारे का आंदोलन सफल रहा। सरकार झुक गई और सत्य की विजय हुई। जिस तरह से समस्त भारतवासियों ने उनका साथ दिया सचमुच देखने लायक था। इन सबों के बाद प्रश्न ये उठता है कि लोकपाल विधेयक को पारित करने के बाद क्या भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा ? हमारा देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो जाएगा। शायद नही। क्योकि इस भ्रष्टाचार के जन्मदाता ही हम है। हम ही उसे पालते पोसते है। आज देश का लगभग हर नागरिक भ्रष्ट है। भ्रष्टाचार का मतलब होता है भ्रष्ट आचरण। किसी भी गलत तरीके से सिर्फ धन अर्जित करना ही भ्रष्टाचार नहीं कहलाता है बल्कि कानुन के विरूद्ध किया जाने वाला हर कार्य भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। क्या सिर्फ वे ही भ्रष्ट हैं जिन्होंने सियासत में रहते हुए लाखों करोड़ों का घपला किया। शायद नहीं। आज हम अपने चारो तरफ नजर दौड़ाए तो हर तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार दिखाई पड़ेगा। पुलिस वालों की अवैध वसुली, पैसे लेकर किसी भी केस को कमजोर करना, राशन की दुकानों में मिलावट करना और कम तौलना, सरकारी कर्मियों द्वारा किसी भी काम के बदले पैसे लेना, गलत कामों को करवाने के लिए आम जनता द्वारा पैसे का भुगतान करना, आम जनता द्वारा टैक्स चोरी करना। कहॉ नही है भ्रष्टाचार। हम सभी लोग किसी न किसी तरह से भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डुबे हुए है। अगर लोकपाल विधेयक पारित हो भी गया तो क्या ये सब खत्म हो जायेगा। नही। क्योंकि हम कहते कुछ और हैं और कर कुछ और रहे है। हम भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार चिल्लाते तो है मगर उसे खत्म करने के लिए कोई प्रयास नहीं करते। हमें दूसरों की गलतियॉ तो नजर आ जाती है पर अपनी खॉमियों को हम नजरअदंाज कर जाते है। हमारी सोच शायद इस आंदोलन के पहले भी वही थी और आज भी वही है कि हमारे बदलने से ही सिर्फ भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा या फिर एक के सही होने से देश में भला कौन सी क्रांति आ जाएगी। अन्ना हजारे जी के साथ अनशन करके या फिर इसके विरोध में मोमबत्तियॉ जलाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला जबतक हम अपने आप को पुरी तरह से नहीं बदलते। हमें किसी के विरूद्ध कुछ भी कहने का हक नहीं है जब तक हम पुरे पाक साफ न हो। हम में और उनमें फर्क सिर्फ इतना है कि कोई लाखों करोड़ो की हेरा फेरी कर रहा है और हम हजारों की। पर हेरा फेरी तो सभी कर रहे है। हमारा देश कई वर्षों की गुलामी के बाद स्वतंत्र हुआ। क्योंकि हमने पुरी इमानदारी और निष्ठा के साथ इसके विरूद्ध आवाज उठाई। लोगों के दिलों में बस एक ही जज्बा था आजादी। अगर वो लोग भी सिर्फ आजादी आजादी चिल्लाते और पुरी निष्ठा के साथ एक नहीं होते तो क्या हमें आजादी मिलती। शायद नही। इसी तरह से अगर हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति पानी है तो उसी निष्ठा और जज्बें के साथ हम सभी को बदलना होगा। तब जाकर हम एक भ्रष्ट मुक्त भारत की कल्पना कर सकते है और आने वाली पीढ़ी को एक भ्रष्ट मुक्त माहौल दे सकते है। अन्ना हजारे ने आवाज लगाई है एक रास्ता दिखाया है हमें ईमानदारी से उस रास्ते पर बढ़ना होगा। वरना कितने ही अन्ना हजारे क्यों न आ जाए भ्रष्टाचार कभी भी खत्म नहीं हो पाएगा।
अभी दिल्ली बहुत दूर है।
ReplyDelete............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
अमित जी, भ्रष्टाचार अपने में कोई स्वतंत्र समस्या नहीं है, मेरा मतलब है की ये संस्कारों, आदर्श एंव जीवन शैली से जुडी समस्या है. मैंने भी स्वंय अनुभव किया है की व्यक्ति बहुत कहते हैं, विचार करते हैं, विरोध की बाते करते हैं, लेकिन जब उनका स्वार्थ टकराता है तो वो छोटे से स्वार्थ के लिए बड़े से बड़ा झूठ बोलने को तैयार हो जाते हैं.
ReplyDeleteजब तक व्यक्ति के जीवन में मूल्यों का पुनः निर्धारण नहीं होगा, शायद भ्रष्टाचार जैसी समस्या जो की व्यक्ति की मूल स्वभाब, परिवेश, संस्कार, आदर्श से सम्बंधित है, रोकना मुश्किल है.
फिर भी जीत तो सत्य की ही होती आई है.
आभार.
अमित जी ,
ReplyDeleteविचारणीय बात कही है आपने ....
भ्रष्टाचारी , भ्रष्टाचार को बढ़ाएगा ही ....ख़त्म क्यों करना चाहेगा ?
'अहम् ढपोल शंखोस्मि कथयामि च करोमि न ' से काम नहीं चलने वाला ...
अब तो ...
कबीरा खड़ा बज़ार में ,लिए लुकाठा हाथ
जो घर फूंके आपना , आवे मेरे साथ
bilkul sahi kaha aapne.
ReplyDeletesuruaat to khud se hi karni hogi.
अमित जी ,
ReplyDeleteविचारणीय बात कही है आपने ..
पहले हमें अपने आप को बदलना होगा, सही कह रहे हैं आप।
ReplyDelete...हाँ ! आपने सही कहा ...धन्यवाद .
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