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Sunday, February 26, 2012

कुछ बेतुकी बातें ......................


चित्र गूगल साभार 


अक्षरों से मिलकर
शब्द बनते हैं
शब्दों से मिलकर वाक्य।
वाक्यों से मिलकर
अहसास पुरे होते हैं और
अहसासों से मिलकर जज्बात।
जज्बातों से मिलकर
ख़्याल बनता है
और ख़्यालों से मिलकर
बनती है रचना।
जिन्हें हम कभी
कविता कहते है तो
कभी नज्म और
कभी गज़ल कहकर
पुकारते है तो कभी
छंद कहकर।
वास्तव में ये हमारी
सोच और ख़्याल का ही तो
प्रतिरूप है।
अक्स है
हमारी खुशी और ग़म का
हमारे अकेलेपन और
तन्हाईयों का।
दिल की गहराईयों में
दफ्न हो चुके
गुजरे हुए कल का।
हमारे आस-पास घटती
हर अच्छाई और
बुराई का।
जिन्हें हम
शब्दों की चाशनी में
लपेट कर
कोरे कागज की थाली में
परोस कर
आपके सामने रख देते हैं।

Thursday, February 16, 2012

बड़े दिलफरेब होते है ये जमाने वाले.....


चित्र गूगल साभार 



बड़े दिलफरेब होते है ये जमाने वाले
हॅस हॅस के मिले हमसे हमको मिटाने वाले।


तेरा दिल न सही दश्त ए वीरानियॉ तो है
वहीं आशियॉं बनायेंगें दिल को लगाने वाले।


कोई क्यों भरोसा करे मोहब्बत के इख्लास पे
दिल मेरा तोड़ गए हमें अपना बनाने वाले।


आवाजें भी तारीखों में दफन हो जाती हैं ‘अमित’
रोके कहॉ रूकते हैं कभी छोड़ कर जाने वाले।

Friday, February 3, 2012

तुमसे मिलना तो बस एक बहाना है......

चित्र गूगल साभार 




तुमसे मिलना तो बस एक बहाना है
दिल के जख्मों को तुम्हें दिखाना है।

कुछ इस कदर बिखरा है वजूद मेरा
न कहीं ठौर और न कहीं ठिकाना है।

ज़ज़्ब-ए-दुआ-ओ-ख़ैर कब की मर चुकी
खंजर की नोक पे खड़ा आज जमाना है।

रिश्तों की अहमियत को वो क्या जाने ‘अमित’
दिलों से खेलना जिनका शौक पुराना है।