इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Friday, February 3, 2012

तुमसे मिलना तो बस एक बहाना है......

चित्र गूगल साभार 




तुमसे मिलना तो बस एक बहाना है
दिल के जख्मों को तुम्हें दिखाना है।

कुछ इस कदर बिखरा है वजूद मेरा
न कहीं ठौर और न कहीं ठिकाना है।

ज़ज़्ब-ए-दुआ-ओ-ख़ैर कब की मर चुकी
खंजर की नोक पे खड़ा आज जमाना है।

रिश्तों की अहमियत को वो क्या जाने ‘अमित’
दिलों से खेलना जिनका शौक पुराना है।

20 comments:

  1. वाह!!! बहुत
    उम्दा प्रस्तुति

    ReplyDelete
  2. ज़ज़्ब-ए-दुआ-ओ-ख़ैर कब की मर चुकी
    खंजर की नोक पे खड़ा आज जमाना है।

    achchha laga ye sher..

    ReplyDelete
  3. तुमसे मिलना तो बस एक बहाना है
    दिल के जख्मों को तुम्हें दिखाना है।
    वाह... बहुत खूबसूरत...

    ReplyDelete
  4. दर्द का बहता लहू लेखनी से छलक रहा है
    आपका आशीक मिजाज झलक रहा है।

    ReplyDelete
  5. कुछ इस कदर बिखरा है वजूद मेरा
    न कहीं ठौर और न कहीं ठिकाना है।


    ज़ज़्ब-ए-दुआ-ओ-ख़ैर कब की मर चुकी
    खंजर की नोक पे खड़ा आज जमाना है।
    बहुत ही उम्दा, लाजबाब ! बहुत सही जा रहे हो अमित जी , ढेर सारी शुभकामनाये !

    ReplyDelete
  6. बहुत खूब सर!

    सादर

    ReplyDelete
  7. Bahut hi sundar rachna aapne likhi hai.
    Kabhi mere blog par bhi aaya kijiye.
    http://www.alahindipoems.blogspot.in/

    ReplyDelete
  8. बहुत ही अच्छी रचना, काफी सारे लिंक्स भी देखने -पढ़ने को मिले।
    शुक्रिया आपका

    ReplyDelete
  9. बहुत ही खुबसूरत
    और कोमल भावो की अभिवयक्ति...

    ReplyDelete
  10. उम्दा प्रस्तुति......

    ReplyDelete
  11. वाह ! बहुत खूब लिखा है आपने!

    ReplyDelete
  12. रिश्तों की अहमियत को वो क्या जाने ‘अमित’
    दिलों से खेलना जिनका शौक पुराना है ...

    बहुत खूब अमित जी ... सच है की जो दिलों से खेलता है वो रिश्तों का दर्द नहीं समझ पाता ...

    ReplyDelete
  13. बहुत ही लाजबाब शेर कहे आपने.. सुन्दर प्रस्तुति.
    कलेंडर

    ReplyDelete
  14. ज़ज़्ब-ए-दुआ-ओ-ख़ैर कब की मर चुकी
    खंजर की नोक पे खड़ा आज जमाना है।

    ...लाज़वाब! बेहतरीन गज़ल..

    ReplyDelete
  15. रिश्तों की अहमियत को वो क्या जाने ‘अमित’
    दिलों से खेलना जिनका शौक पुराना है।
    Bahut Khoob.

    ReplyDelete
  16. शानदार लिखा है अमित जी।
    चित्र बड़ा भयानक है !!

    ReplyDelete
  17. सुभानाल्लाह....हर शेर उम्दा और बेहतरीन.....दाद कबूल करें|

    ReplyDelete
  18. मिलना भी ज़ख्म दिखाने के लिए? हद है!

    ReplyDelete
  19. तुमसे मिलना तो बस एक बहाना है
    दिल के जख्मों को तुम्हें दिखाना है।

    बहाना कामयाब रहा .....???

    ReplyDelete