कुछ दिनों से व्यस्तता की वजह से ब्लॉग से दूर हूँ जिसकी वजह से आपलोगों की रचनाओं को नहीं पढ़ पा रहा हूँ. आप लोगों के पास अपनी एक पुरानी रचना छोड़े जा रहा हूँ. इसे मैंने अगस्त महीने में ब्लॉग पर डाला था. जैसे ही समय मिलता है आप लोगो के पास वापस आ जाऊंगा. तब तक के लिए आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
चित्र गूगल साभार
रास्ते में मैने एक बुढ़िया को देखा बदहवास
ऑखों में था पानी और चेहरे से थी उदास।
पुछा कौन हो तुम और किसने किया तुम्हारा ये हाल
जिदंगी आगे और भी है जरा अपने आप को सभांल।
बोली बेटा अपना दर्द कैसे करू तुमसे बयान
कैसे दिखाउॅ तुम्हें अपने बदन पे जख्मों के निशान।
मेरे चाहने वाले ही मेरी हालत के जिम्मेदार हैं
कैसे कहूँ कि वो मेरे दुध के कर्जदार हैं।
मेरे बेटों ने ही मेरा ये हाल बनाया है
देखो किस तरह उन्होंने दुध का कर्ज चुकाया है।
मैने कहा चल मेरे साथ तेरा ये बेटा अभी जिंदा है
पोछ ले तु ऑंसु अपने क्यों खुद पे तु शर्मिन्दा है।
कहॉ ले जाओगे मुझे मैं एक लुटी हुई कारवॉं हूँ
बेटा मैं और कोई नहीं तेरी अपनी ही भारत मॉं हूँ।
बख्श दो अब और न करो त्रस्त मुझे
अपने हाथों यूँ न करो र्निवस्त्र मुझे।
Karun kahaani hai ... bahut hi samvedansheel likha hai ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
भावों से नाजुक शब्द......बेजोड़ भावाभियक्ति.....गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ....................
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....!
जय हिंद...वंदे मातरम्।
मेरे चाहने वाले ही मेरी हालत के जिम्मेदार हैं...
ReplyDeleteसही है हम सब जिम्मेदार हैं...
अतिसुन्दर
ReplyDeleteसारगर्भित..
विचारनीय
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
भारत माता की व्यथा का चित्रण मार्मिक शब्दों में।
ReplyDeleteयही एहसास सब में जागने लगे तब तो बेड़ा पार हो जाये !
ReplyDeleteबहूत बेहतरीन अभिव्यक्ती शब्द -शब्द दिल को छु गये ..
ReplyDeleteकहॉ ले जाओगे मुझे मैं एक लुटी हुई कारवॉं हूँ
ReplyDeleteबेटा मैं और कोई नहीं तेरी अपनी ही भारत मॉं हूँ।
bahut hi khoobsoorat abhivykti ke liye sadar badhai