चित्र गूगल साभार
मेरी दुआओं में कुछ असर तो हो
जिदंगी थोड़ी ही सही बसर तो हो।
किसी के रोके कहॉ रूकते है हम
रोक ले मुझको ऐसी कोई नजर तो हो।
कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
सर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।
दस्त-ए-तन्हाई को ऑसुओं से सवॉरा है मैने
मुस्कुराहटों से भरी कभी कोई सहर तो हो।
कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
ReplyDeleteसर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।
बहुत खूब सर!
सादर
किसी के रोके कहॉ रूकते है हम
ReplyDeleteरोक ले मुझको ऐसी कोई नजर तो हो।
bahut sundar
http://www.poeticprakash.com/
वाह...क्या अद्भुत रचना है...लाजवाब
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियां।
ReplyDeleteकल 09/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत
ReplyDeleteकितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
ReplyDeleteसर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।
....behatareen prastuti...
कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
ReplyDeleteसर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल , मुबारक हो
बहुत बढ़िया दुआओं का असर.......
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए इस लिंक पे क्लिक करें.
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
वाह वाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteकितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
ReplyDeleteसर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।
वाह ...बहुत बढि़या।
सुभानाल्लाह.........दाद कबूल करें|
ReplyDeleteदस्त-ए-तन्हाई को ऑसुओं से सवॉरा है मैने
ReplyDeleteमुस्कुराहटों से भरी कभी कोई सहर तो हो।
.
गहरे एहसास के साथ सुंदर प्रस्तुति.....
:) nice
ReplyDeleteirsad...bahut khoor..umda.....
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत अच्छा
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