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Saturday, January 7, 2012

मेरी दुआओं में कुछ असर तो हो........


चित्र गूगल साभार 



मेरी दुआओं में कुछ असर तो हो
जिदंगी थोड़ी ही सही बसर तो हो।

किसी के रोके कहॉ रूकते है हम
रोक ले मुझको ऐसी कोई नजर तो हो।

कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
सर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।

दस्त-ए-तन्हाई को ऑसुओं से सवॉरा है मैने
मुस्कुराहटों से भरी कभी कोई सहर तो हो।

20 comments:

  1. कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
    सर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।

    बहुत खूब सर!


    सादर

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  2. किसी के रोके कहॉ रूकते है हम
    रोक ले मुझको ऐसी कोई नजर तो हो।

    bahut sundar

    http://www.poeticprakash.com/

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  3. वाह...क्या अद्भुत रचना है...लाजवाब

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  4. बहुत सुंदर पंक्तियां।

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  5. कल 09/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. बहुत ही खुबसूरत

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  7. कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
    सर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।

    ....behatareen prastuti...

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  8. कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
    सर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।
    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल , मुबारक हो

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  9. बहुत बढ़िया दुआओं का असर.......

    मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए इस लिंक पे क्लिक करें.
    http://dilkikashmakash.blogspot.com/

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  10. वाह वाह!!!
    बहुत सुन्दर.

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  11. कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में
    सर छुपाने के लिए कोई शजर तो हो।
    वाह ...बहुत बढि़या।

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  12. सुभानाल्लाह.........दाद कबूल करें|

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  13. दस्त-ए-तन्हाई को ऑसुओं से सवॉरा है मैने
    मुस्कुराहटों से भरी कभी कोई सहर तो हो।
    .
    गहरे एहसास के साथ सुंदर प्रस्तुति.....

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  14. सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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