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Tuesday, November 2, 2010

वो लड.की



उसको देखता हूं तो लगता है यूं
जैसे सुबह की लालिमा लिए
आसमां की क्षितिज पर
एक तारा टिमटिमा रहा हो।
उसकी खामोश निगाहें
कुछ कहना चाहती है मुझसे
होठों पर है ढेर सारी बातें
फिर भी न जाने क्यूं चुप है।
हंसती है वो तो
चमन में फूल खिलते हैं।
बात करती है तो लगता है
दूर कहीं झरने बहते हैं।
उसकी शोख और चंचल अदाएं
मुझको दिवाना बनाती है।
उसकी सादगी हर पल
एक नया संगीत सुनाती है।
इतना तो पता है कि
उसको भी मुझसे प्यार है।
कभी तो नज़र उठेगी मेरी तरफ,
उस वक्त का इन्तजार है।

6 comments:

  1. खूबसूरती से लिखे एहसास ....शीर्षक ठीक कर लें ....

    लड़की

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  2. सुन्दर कविता .........आभार.

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  3. bahoot sunder......ummidon ko jivit karti hui kavita

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  4. बिलकुल सही लिखा जरूर किसी ख़ास के लिए लिखा है..
    पंक्तियों की सुन्दरता यही बयां कर रहीं है.

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