इश्क में दूरियाँ एक पल को गवाँरा तो नही
इश्क है, एक बार होता है, दोबारा तो नही।
तेरी गलियाँ लिपटी है खून से ऐ मेरे कातिल
तड़प रहा है एक दिल तेरे दर पे, कहीं हमारा तो नही।
जिंदगी हँसती है कभी मेरी नाकामियों पर
तुम जीत कैसे गए अभी मैं हारा तो नही।
गुम था तेरे ख्यालों में तभी तेरा दीदार हुआ
रूको, जरा देखूँ, फलक से टूटा है कोई तारा तो नही।
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (25.07.2014) को "भाई-भाई का भाईचारा " (चर्चा अंक-1685)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteउम्दा ग़जल।
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteबेहतरीन....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...प्रेम को समर्पित भाव
ReplyDeleteबेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
ReplyDeleteअभिव्यक्ति........
wah umda gazal
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन अंदाज़....
ReplyDeleteजिंदगी हँसती है कभी मेरी नाकामियों पर
ReplyDeleteतुम जीत कैसे गए अभी मैं हारा तो नही।
बहुत खूबसूरत अशआर के साथ लिखी ग़ज़ल
अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
ReplyDeleteक्षमा करें अगर मेरी भारतीय भाषा को समझना मुश्किल है
greetings from malaysia
द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin
शुक्रिया