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Saturday, October 18, 2014

जिंदगी का पता न दे.........

चित्र गूगल साभार





ऐ खुदा, मुझे फिर से ये सजा न दे
कज़ा है मुकद्दर मेरा जिंदगी का पता न दे।

अश्कों से भर गया है दरिया-ए-मोहब्बत मेरा
फिर से चाहुँ मैं किसी को ऐसी दुआ न दे।

मुद्दतों बाद एक मुस्कान मेरे लबों पे आई है
देखना, फिर से कोई ज़ख्म मुझे रूला न दे।

ढुढँता रहा मैं तुझे दर-ब-दर इंसानों में
मुझे फिर से कोई दैर-ओ-हरम का पता न दे।

Wednesday, October 8, 2014

कुछ तो हकीकत है तेरे मेरे फसाने मे..........


चित्र गूगल साभार


जिंदगी आऊगाँ मैं तुमसे कभी मिलने के लिए
अभी उलझा हुँ मैं अपनी उलझनें सुलझानें में।

मैं हिन्दु, तुम मुस्लिम, ये सिख वो ईसाई है
मिलना हो गर इसाँ से तो चलो मयखाने में।

है कजा मंजिल तो है तु भी हमसफर मेरा
फिर क्यों अलग से रहते हैं हमलोग इस जमाने में।

उठता नहीं धुआँ कभी आग के जले बिना
कुछ तो हकीकत है तेरे मेरे फसाने मे।

Saturday, September 27, 2014

इंसाँ बसते हैं इस बस्ती में तो फिर दंगे क्यों हैं...............


चित्र गूगल साभार


इतने ही शरीफ है तो हम्माम में नंगे क्यों हैं
इंसाँ बसते हैं इस बस्ती में तो फिर दंगे क्यों हैं।

वो कहता था, चेहरा इंसान का आईना होता हैं
फिर, इस महफिल में सबके चेहरे रंगे क्यों हैं।

हक बराबर का है सबका तेरी दुनिया में ऐ खुदा
दैर ‘ओ‘ हरम की सीढ़ियों पर इतने भूखे-नंगे क्यों हैं।

सागर भी तड़पता है साहिल से मिलने के लिए
वरना, उसके सीने में उठती इतनी तरंगें क्यों है।

दो गज जमीन है इख्तियार में सभी के ‘अमित‘
ना जाने फिर दुनिया में इतनी जंगें क्यों है।

Monday, August 25, 2014

दे कोई दर्द मुझे के फिर कोई गजल लिखुँ......,....


चित्र गूगल साभार


दे कोई दर्द मुझे के फिर कोई गजल लिखुँ
तेरी जुल्फ को घटा, तेरे हुस्न को कमल लिखुँ।

लुट गए ना जाने कितने मेरी फिर औकात क्या
तु बता, मैं नाम तेरे किसका-किसका कत्ल लिखुँ।

हारता रहा मैं हर बाजी जुनुन-ए-इश्क में
तुझको दाना समझुँ या खुद को मैं पागल लिखुँ।

है खलिश से भरी दास्तॉ मेरे इश्क की
वस्ल से शुरू करूँ या फिराक-ए-पल लिखुँ।
                  

Thursday, July 24, 2014

इश्क है, एक बार होता है, दोबारा तो नही,,,,,,,,,,,,,



इश्क में दूरियाँ एक पल को गवाँरा तो नही
इश्क है, एक बार होता है, दोबारा तो नही।

तेरी गलियाँ लिपटी है खून से ऐ मेरे कातिल
तड़प रहा है एक दिल तेरे दर पे, कहीं हमारा तो नही।

जिंदगी हँसती है कभी मेरी नाकामियों पर
तुम जीत कैसे गए अभी मैं हारा तो नही।

गुम था तेरे ख्यालों में तभी तेरा दीदार हुआ
रूको, जरा देखूँ, फलक से टूटा है कोई तारा तो नही।

Wednesday, July 2, 2014

चित्र गूगल साभार



कुछ इस तरह से वो हमसे मिला करते है
वस्ल में भी बारहा शिकवे किया करते है।

कुछ लोग भी हैं ऐसे अजब है फितूर उनका
दिखाकर राहे जहन्नूम बात जन्नत की किया करते है।

यूॅ तो बहुत लोग है तेरी दुनिया में ऐ खुदा
जिंदगी को चंद लोग ही मुकम्मल जिया करते है।

तेरा ये इल्जाम भी अब कुबुल है मुझे
वफादारों को ही लोग बेवफा कहा करते है।

Sunday, March 16, 2014

होली.........



फागुन की बहार
रंगों की बौछार
भंग का खुमार
गुझिया मजेदार
थोड़ी सी तकरार
ढेर सारा प्यार
प्रियतम का इंतजार
दिल बेकरार
आओ मनाएँ मिलकर
होली का त्योहार