इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Friday, November 25, 2011

कभी तो हमसे मिला किजिए।


चित्र गूगल साभार 


कब से खड़ा हुॅ राहों में बस एक इल्तिजा लिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

अब बर्दाश्त नहीं होता ये ग़म ए जुदाई का एहसास
मेरे इंतजार का अब कोई तो सिला दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

यॅू तो लाखों है आपकी राहो में इश्क ए चराग जलाए हुए
नजर भर कर कभी हमें भी देखा किजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
बस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

और कुछ न मॉगेंगे हम खुदा से
हमें अपना हमसफर बना लिजिए
गैर बन कर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

Thursday, November 10, 2011

आज फिर महका है गुलिस्तॉ.......


चित्र गूगल साभार 


आज फिर महका है गुलिस्तॉ
और चमन में फुल खिले है।
ऑखें सबकुछ बोल रही है
हम दोनों के होठ सिले है।

कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
हम कितनी मुद्धत बाद मिले हैं।
आओ भुला दें हम सभी 
दिल में जितने शिकवे गिले है।

कुछ इस तरह रातें बिताई है मैनें
जागती ऑखों से सपने बुने हैं।
चॉदनी रातों में जाग कर हमनें
ना जाने कितने तारे गिने है।


आज फिर महका है गुलिस्तॉ
और चमन में फुल खिले है।
ऑखें सबकुछ बोल रही है
हम दोनों के होठ सिले है।



Wednesday, November 2, 2011

मैं और मेरी कवितायेँ

चित्र गूगल साभार 



तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूँ
और मेरे बिना तुम ।
एक तुम ही तो हो
जो हर वक्त मेरे साथ रहती हो ।
मेरी तनहाइयों में भी
तुम्हारा वजूद इतनी मजबूती के साथ
अपना आभास करता है कि
मैं चाहकर भी तुम्हे नकार नहीं सकता ।
अपने हर सुख और दुःख को
ना जाने कब से मैं
तुम्हारे साथ साझा करता आ रहा हूँ ।
तुमने हर कदम
मेरा हौसला बढाया है ।
जब भी गिरा हूँ मैं
या फिर दुनिया वालों ने
जब सताया है
तुम्हारे पास ही तो
आया हूँ मैं ।
अपनी आगोश में लेकर
ना जाने कितनी बार
तुमने मुझे टूटने से
बचाया है ।
पहले लगता था
कि शायद
तुम मेरी सोच तक ही सीमित हो ।
लेकिन अब एहसास होता है कि
तुम्हारे बिना मेरा वजूद
हो ही नहीं सकता ।
हम दोनों आपस में
कुछ इस तरह से जुड़े हैं
जैसे शरीर के साथ
सांसों कि डोर ।
अक्सर कुछ इसी तरह की
बातें किया करते है
जब साथ होते हैं
मैं और मेरी कवितायेँ ।