चित्र गूगल साभार
कब से खड़ा हुॅ राहों में बस एक इल्तिजा लिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
अब बर्दाश्त नहीं होता ये ग़म ए जुदाई का एहसास
मेरे इंतजार का अब कोई तो सिला दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
यॅू तो लाखों है आपकी राहो में इश्क ए चराग जलाए हुए
नजर भर कर कभी हमें भी देखा किजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
बस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
और कुछ न मॉगेंगे हम खुदा से
हमें अपना हमसफर बना लिजिए
गैर बन कर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
और कुछ न मॉगेंगे हम खुदा से
ReplyDeleteहमें अपना हमसफर बना लिजिए
गैर बन कर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
bhaut hi khubsurat ehsaas bhaav.....
हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
ReplyDeleteबस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
yahi pyar hai :) bahut achha laga mubarak ho
कब से खड़ा हुॅ राहों में बस एक इल्तिजा लिए
ReplyDeleteगैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
bahut hi khoobb.
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने!
ReplyDeleteबस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए...बहुत ही सुन्दर ~!~
ReplyDeleteगैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
ReplyDeletebahut khub...kai saare aashikon ki bhavnayein yahan aapke dwara prastut hui hai :-)
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हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
ReplyDeleteबस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
मनभावन प्रस्तुति .....!
हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
ReplyDeleteबस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
बहुत खूब सर!
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कल 27/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत खूब........आज आप से मिल ही लिए बहुत दिनों के बाद :-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है |
ReplyDeleteअब बर्दाश्त नहीं होता ये ग़म ए जुदाई का एहसास
ReplyDeleteमेरे इंतजार का अब कोई तो सिला दीजिए
वाह वाह
dua karenge....ki vo aapke ban jaye...aap se mil jaye.
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteसुंदर ग़ज़ल, दिल तक पहुच गई !
ReplyDeleteबहुत खूब सूरत ह्रदय स्पर्शी गजल ....
ReplyDeletebahut hi sundar or manbhavan rachana hai...
ReplyDeletesundar prastuti....
अब बर्दाश्त नहीं होता ये ग़म ए जुदाई का एहसास
ReplyDeleteमेरे इंतजार का अब कोई तो सिला दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।वाह.
वाह! बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteहलचल से यहाँ आना सार्थक हुआ.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
बात शेरों से बनती ही नहीं....
ReplyDeleteआप ही कोई मकता बता दिजीए
एक बेहतरीन रचना