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Friday, November 25, 2011

कभी तो हमसे मिला किजिए।


चित्र गूगल साभार 


कब से खड़ा हुॅ राहों में बस एक इल्तिजा लिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

अब बर्दाश्त नहीं होता ये ग़म ए जुदाई का एहसास
मेरे इंतजार का अब कोई तो सिला दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

यॅू तो लाखों है आपकी राहो में इश्क ए चराग जलाए हुए
नजर भर कर कभी हमें भी देखा किजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
बस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

और कुछ न मॉगेंगे हम खुदा से
हमें अपना हमसफर बना लिजिए
गैर बन कर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

19 comments:

  1. और कुछ न मॉगेंगे हम खुदा से
    हमें अपना हमसफर बना लिजिए
    गैर बन कर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।
    bhaut hi khubsurat ehsaas bhaav.....

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  2. हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
    बस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
    yahi pyar hai :) bahut achha laga mubarak ho

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  3. कब से खड़ा हुॅ राहों में बस एक इल्तिजा लिए
    गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

    bahut hi khoobb.

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  4. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने!

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  5. बस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए...बहुत ही सुन्दर ~!~

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  6. गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

    bahut khub...kai saare aashikon ki bhavnayein yahan aapke dwara prastut hui hai :-)

    www.poeticprakash.com

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  7. हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
    बस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
    गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

    मनभावन प्रस्तुति .....!

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  8. हम तो जॉ भी लुटा दें अपनी खुशी से
    बस एक नजर देखकर हमें मुस्कुरा दीजिए
    गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।

    बहुत खूब सर!
    -----
    कल 27/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  9. बहुत खूब........आज आप से मिल ही लिए बहुत दिनों के बाद :-)

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  10. बहुत सुन्दर लिखा है |

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  11. अब बर्दाश्त नहीं होता ये ग़म ए जुदाई का एहसास
    मेरे इंतजार का अब कोई तो सिला दीजिए

    वाह वाह

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  12. सुंदर ग़ज़ल, दिल तक पहुच गई !

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  13. बहुत खूब सूरत ह्रदय स्पर्शी गजल ....

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  14. bahut hi sundar or manbhavan rachana hai...
    sundar prastuti....

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  15. अब बर्दाश्त नहीं होता ये ग़म ए जुदाई का एहसास
    मेरे इंतजार का अब कोई तो सिला दीजिए
    गैर बनकर ही सही कभी तो हमसे मिला किजिए।वाह.

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  16. वाह! बहुत सुन्दर.
    हलचल से यहाँ आना सार्थक हुआ.
    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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  17. बात शेरों से बनती ही नहीं....
    आप ही कोई मकता बता दिजीए

    एक बेहतरीन रचना

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