चित्र गूगल साभार
तुमसे प्यार करना मेरा सबसे बड़ा गुनाह हो गया
इस कदर मैने चाहा तुम्हें के खुद फना हो गया।
दिल पे जख्मों के निशॉं अभी बाकी है
हाथ में जाम है और सामने साकी है
इतनी पी मैनें के होश से जुदा हो गया
इस कदर मैनें चाहा तुझे के खुद फना हो गया।
इश्क वो सैलाब है जो हर दिल में उठती है
साहिल भी लहरों से मिलने को मचलती है
डुबा जो इसमें उसका निशॉ तक खो गया
इस कदर मैने चाहा तुझे के खुद फना हो गया।
हम भी कभी खुद पे नाज किया करते थे
न फिक्र थी कोई बस अपनी धुन में रहते थे
मिला जो तुमसे मै तो दाना से नादॉं हो गया
इस कदर मैने चाहा तुझे के खुद फना हो गया।
तुमसे प्यार करना मेरा सबसे बड़ा गुनाह हो गया
इस कदर मैने चाहा तुम्हें के खुद फना हो गया।
इस कदर मैने चाहा तुम्हें के खुद फना हो गया।
बहुत खूबसूरत , बधाई.
ReplyDeletemuhabbat gunah nahi hoti
ReplyDeleteaashik ke lab pe aah nahi hoti..
sundar...
दिल पे जख्मों के निशॉं अभी बाकी है
ReplyDeleteहाथ में जाम है और सामने साकी है
इतनी पी मैनें के होश से जुदा हो गया
खूबसूरत नज़्म!
मुहब्बत तो इवादत होती हैं गुनाह नहीं अच्छी रचना बधाई
ReplyDeleteहम भी कभी खुद पे नाज किया करते थे
ReplyDeleteन फिक्र थी कोई बस अपनी धुन में रहते थे
मिला जो तुमसे मै तो दाना से नादॉं हो गया//
waah amit jee
इस कदर मैने चाहा तुम्हें के खुद फना हो गया।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत...
हम भी कभी खुद पे नाज किया करते थे
ReplyDeleteन फिक्र थी कोई बस अपनी धुन में रहते थे
मिला जो तुमसे मै तो दाना से नादॉं हो गया
इस कदर मैने चाहा तुझे के खुद फना हो गया।
भावनाओं से भरी सुन्दर प्रस्तुति
वाह! बहुत सुन्दर |
ReplyDeleteमिला जो तुमसे मै तो दाना से नादॉं हो गया
ReplyDeleteइस कदर मैने चाहा तुझे के खुद फना हो गया।
sach kaya pyar to sabka bura haal karta hai.
वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
भावपूर्ण कविता के लिए आभार...
ReplyDeleteबढ़िया अभिव्यक्ति ... ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
bahut hi sundar bhavpurn rachana hai...
ReplyDeleteapki rachana bhavpurn to hai hi par jis tarah se ise tukant shabdo me likha hai wah ise or bhi rochak banata hai...
बहुत सुंदर प्रस्तुति ...बधाई
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल.........शानदार लगी | यहाँ थोडा ध्यान दिलाना चाहूँगा......
ReplyDeleteइश्क वो सैलाब है जो हर दिल में उठती है
साहिल भी लहरों से मिलने को मचलती है
मुझे लगा की इसमें 'उठती' की जगह 'उठता' और 'मचलती' की जगह 'मचलता' होना चाहिए था|
बहुत सुंदर बेहतरीन प्रस्तुति,...बधाई अच्छा प्रयास ...
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आइये,........
मेरे पोस्ट में आने के लिए आभार,...इसी तरह स्नेह बनाये रखे
ReplyDeleteप्रेम में यही होता है। सब रहता है-सिवाए होश के!
ReplyDeleteसुन्दर अहसास को आवाज देती पंक्तियों के लिए बधाई ।
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