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Saturday, December 10, 2011

ये फूल........





सुबह सुबह देखो तो 
इन फूलों की
पंखुड़ियों पर 
पानी की चंद 
नन्ही नहीं बुँदे
पड़ी होती हैं ।
तो क्या 
ये फूल भी 
किसी की याद में 
सारी रात रोती है।

16 comments:

  1. कल 12/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. ji nahi ye ro nahi rahe....naha rahe hain.....nazer nazer ki baat hai. :-)

    sunder prastuti.

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  3. आप की पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२१)में शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /लिंक है / http://hbfint.blogspot.com/2011/12/21-save-girl-child.html

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  4. बहुत खूब |

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  5. बहुत खूब कहा है.

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  6. चंद पंक्तिया और बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

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  7. वाह अमित जी .,.. क्या बात है ... सच है की इन फूलों को भी रोना आता होगा किसी की याद में ...

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  8. ये फूल भी
    किसी की याद में
    सारी रात रोती है।

    waah kamaal ka khayal hai, bahut sunder

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  9. चंद पन्तियों सुंदर भावपूर्ण रचना अच्छी पोस्ट ....

    मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

    सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
    चुल्लू भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
    छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
    अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,


    पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

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  10. सुंदर रचना।
    बेहतरीन प्रस्तुति!

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