इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Saturday, December 10, 2011

ये फूल........





सुबह सुबह देखो तो 
इन फूलों की
पंखुड़ियों पर 
पानी की चंद 
नन्ही नहीं बुँदे
पड़ी होती हैं ।
तो क्या 
ये फूल भी 
किसी की याद में 
सारी रात रोती है।

14 comments:

  1. बहुत खूब सर!

    सादर

    ReplyDelete
  2. ji nahi ye ro nahi rahe....naha rahe hain.....nazer nazer ki baat hai. :-)

    sunder prastuti.

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब |

    ReplyDelete
  4. बहुत खूब कहा है.

    ReplyDelete
  5. चंद पंक्तिया और बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

    ReplyDelete
  6. वाह अमित जी .,.. क्या बात है ... सच है की इन फूलों को भी रोना आता होगा किसी की याद में ...

    ReplyDelete
  7. ये फूल भी
    किसी की याद में
    सारी रात रोती है।

    waah kamaal ka khayal hai, bahut sunder

    ReplyDelete
  8. चंद पन्तियों सुंदर भावपूर्ण रचना अच्छी पोस्ट ....

    मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

    सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
    चुल्लू भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
    छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
    अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,


    पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

    ReplyDelete
  9. सुंदर रचना।
    बेहतरीन प्रस्तुति!

    ReplyDelete