चित्र गूगल साभार
बड़े दिलफरेब होते है ये जमाने वाले
हॅस हॅस के मिले हमसे हमको मिटाने वाले।
तेरा दिल न सही दश्त ए वीरानियॉ तो है
वहीं आशियॉं बनायेंगें दिल को लगाने वाले।
कोई क्यों भरोसा करे मोहब्बत के इख्लास पे
दिल मेरा तोड़ गए हमें अपना बनाने वाले।
आवाजें भी तारीखों में दफन हो जाती हैं ‘अमित’
रोके कहॉ रूकते हैं कभी छोड़ कर जाने वाले।
बहुत खूब ...
ReplyDeleteबड़े दिलफरेब होते है ये जमाने वाले
ReplyDeleteहॅस हॅस के मिले हमसे हमको मिटाने वाले।
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल....ये शेर सबसे उम्दा लगा।
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल दाद तो कुबूल करनी ही होगी ....
ReplyDeleteतेरा दिल न सही दश्त ए वीरानियॉ तो है
ReplyDeleteवहीं आशियॉं बनायेंगें दिल को लगाने वाले।
Nice, Amit !
वाह ||
ReplyDeleteलाजवाब....:-)
Behtareen...
ReplyDeleteसभी शेर दाद देने के काबिल।
ReplyDeleteबढि़य गजल।