चित्र गुगल साभार
दिल के दर्द को जब हम संभाल न पाए
अश्क बन कर ये मेरी आखों में उतर आए।
मुस्कुराते हैं हम जमाने के सामने
कहीं मेरा प्यार रूसवा न हो जाए।
रेत पर लिखी तहरीरों को मिटाने से क्या फायदा
हाथ में बनी लकीरों को किस तरह मिटाए।
आना मेरी मजार पर इजाजत है तुम्हें
जब जिस्म से मेरी रूह फना हो जाए।
मन की पीडा शब्दो मे उतर आयी है
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteरेत पर लिखी तहरीरों को मिटाने से क्या फायदा
ReplyDeleteहाथ में बनी लकीरों को किस तरह मिटाए।
खुबसूरत शेर , मुबारक हो
bhut hi khubsurati se sabdo ka prayog kiya hai apne...
ReplyDeletekya baat....!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बधाई
ReplyDeleteओह!!
ReplyDeletesundar..dil se
ReplyDeleteआना मेरी मजार पर इजाजत है तुम्हें
ReplyDeleteजब जिस्म से मेरी रूह फना हो जाए।
क्या बात कही सर!
बहुत सुन्दर बधाई
ReplyDeleteआना मेरी मजार पर इजाजत है तुम्हें
ReplyDeleteजब जिस्म से मेरी रूह फना हो जाए।
सुंदर और भावमयी रचना है।
बेहद प्रभावी अंदाज़ ....साथ में चित्र ....क्या बात है...आभार !
ReplyDeleteअमित जी ,
ReplyDeleteरचना के साथ जो चित्र आपने लगाया है .............क्या कहूँ, दर्द की पराकाष्ठा प्रकटित हो रही है |
आना मेरी मजार पर इजाजत है तुम्हें
ReplyDeleteजब जिस्म से मेरी रूह फना हो जाए।
वाह जी वाह ... बहुत सुन्दर
शुभकामनाये ...
avinash001.blogspot.com
सुंदर और भावमयी रचना है।
ReplyDeletedil ke dard ko baya karne me sashakt shabdo ka prayog kiya hai.
ReplyDeleteबेहद संजीदगी भरी रचना है आपकी
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