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Thursday, May 5, 2011

मेरी याद आती होगी..........







शाम के धुंधलके में
दुर क्षितिज पर
आसमॉ और जमीं को
मिलते हुए
जब तुम देखती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
स्याह रातों के सन्नाटे में
जब तन्हाई
दबे पॉव आकर
तुम्हारे घर का दरवाजा
खटखटाती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
पेड़ की झुरमुटों से छनकर
जब चॉद की
शीतल चॉदनी
तुम्हारे दिल को जलाती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
कबतक बहलाओगी खुद को
इधर उधर की बातो से
जब बाग में किसी भवॅरे को देख
कोई कली मुस्काती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।

20 comments:

  1. बहुत खूबसूरती से आपने दर्द का बयां किया है.
    वो याद करे या न करे,
    हम तो हर पल उन्हें याद किया करते हैं.

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  2. बहुत सुंदर ... अच्छे से बांधा है मनोभावों को.....

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  3. amit ji namaskar
    bahut hi jajawab rachna
    aapki yaad aati hein
    har pal bahut rulati hein
    kaha nahi sakte iss comment mein
    kitna tadpati hein

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  4. mujhe yaad aati hai... gujrate har lamho ke sath... bhut khubsurat rachna...

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  5. खूबसूरती से आपने दर्द का बयां किया है

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  6. जब बाग में किसी भवॅरे को देख
    कोई कली मुस्काती होगी
    तब तुम्हे भी
    मेरी याद आती होगी।

    मेरे मन की बात कह दी, शुभकामनाये

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  7. मन को कही गहरे में छु गई रचना

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  8. शाम के धुंधलके में
    दूर क्षितिज पर
    आसमॉ और जमीं को
    मिलते हुए
    जब तुम देखती होगी
    तब तुम्हे भी
    मेरी याद आती होगी।

    सुंदर भावाभिव्यक्ति।

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  9. उनकी याद तो तब आए जब दिल से जाए ... बहुत खूब समेटा है दिल के जज्बातों को ...

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  10. जब तन्हाई
    दबे पॉव आकर
    तुम्हारे घर का दरवाजा
    खटखटाती होगी
    बहुत सुन्दर भाव है अच्छा लगा ।

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  11. खूबसूरती से आपने दर्द का बयां किया है|धन्यवाद|

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  12. गहन भावनाओं की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  13. अमित जी ,
    बहुत सुन्दर रचना ...प्रारंभ से अंत तक भावों की प्रस्तुति और लयबद्धता मन को बाँध लेती है |

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  14. बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
    मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

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  15. गहन अभिव्यक्ति
    आशा

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