शाम के धुंधलके में
दुर क्षितिज पर
आसमॉ और जमीं को
मिलते हुए
जब तुम देखती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
स्याह रातों के सन्नाटे में
जब तन्हाई
दबे पॉव आकर
तुम्हारे घर का दरवाजा
खटखटाती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
पेड़ की झुरमुटों से छनकर
जब चॉद की
शीतल चॉदनी
तुम्हारे दिल को जलाती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
कबतक बहलाओगी खुद को
इधर उधर की बातो से
जब बाग में किसी भवॅरे को देख
कोई कली मुस्काती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
बहुत खूबसूरती से आपने दर्द का बयां किया है.
ReplyDeleteवो याद करे या न करे,
हम तो हर पल उन्हें याद किया करते हैं.
बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर ... अच्छे से बांधा है मनोभावों को.....
ReplyDeleteamit ji namaskar
ReplyDeletebahut hi jajawab rachna
aapki yaad aati hein
har pal bahut rulati hein
kaha nahi sakte iss comment mein
kitna tadpati hein
mujhe yaad aati hai... gujrate har lamho ke sath... bhut khubsurat rachna...
ReplyDeleteखूबसूरती से आपने दर्द का बयां किया है
ReplyDeleteजब बाग में किसी भवॅरे को देख
ReplyDeleteकोई कली मुस्काती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
मेरे मन की बात कह दी, शुभकामनाये
मन को कही गहरे में छु गई रचना
ReplyDeletebadhiya !
ReplyDeleteशाम के धुंधलके में
ReplyDeleteदूर क्षितिज पर
आसमॉ और जमीं को
मिलते हुए
जब तुम देखती होगी
तब तुम्हे भी
मेरी याद आती होगी।
सुंदर भावाभिव्यक्ति।
उनकी याद तो तब आए जब दिल से जाए ... बहुत खूब समेटा है दिल के जज्बातों को ...
ReplyDeleteजब तन्हाई
ReplyDeleteदबे पॉव आकर
तुम्हारे घर का दरवाजा
खटखटाती होगी
बहुत सुन्दर भाव है अच्छा लगा ।
खूबसूरती से आपने दर्द का बयां किया है|धन्यवाद|
ReplyDeletebahut hi sunder si rachna...
ReplyDeleteगहन भावनाओं की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअमित जी ,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...प्रारंभ से अंत तक भावों की प्रस्तुति और लयबद्धता मन को बाँध लेती है |
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
sunder ehsaas ...!!
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआशा
खूबसूरत रचना ...
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