जाति आधारित जनगणना को केन्द्र सरकार ने मंजुरी दे दी। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि इससे फायदा किसका है। मुझे नही लगता कि इससे आम जनता को कोई फायदा होने वाला है। ना तो उसे कमरतोड़ महगॉई से छुटकारा मिलेगा और ना ही रोज रोज होने वाली परेशानियों से। हॉ अगर सही मायने में किसी को फायदा होने वाला है तो वो हैं हमारे देश के नेता। कहॉ तो जातिगत राजनीति से उपर उठने की बात की जाती है पर इस जाति आधारित जनगणना के जरिये इसकी जड़ों को और मजबुत किया जा रहा है। इसके जरिये सभी को इस बात की जानकारी हो जाएगी कि किस इलाके में किन जातियों की बहुलता है। इसके बिना पर इनकी राजनीतिक रोटियॉ सेकी जाएगी। उससे संबंधित उम्मीदवार खडे़ किये जाएगें। लोगों के दिलों में जातिगत भावना को घटाने के बजाय उसे बढ़ाने का काम किया जाएगा। हो सकता है इससे सबंधित अन्य दलीलें भी हो मसलन जिस इलाके में वैसी जातियॉ जो समाज से कटी रह गई है उनकी हालत और रहन सहन का स्तर उपर उठाने में सरकार को मदद मिलेगी। पर ये प्रयास तो आजादी के बाद से ही शुरू हो गए थे। पर इसका असर कहॉ तक पहुॅचा ये हम सभी जानते है। वैसे भी हमारे समाज में जाति को लेकर दुर्भावना अब बहुत कम ही देखने को मिलती है। इसका असर उन क्षेत्रों में ज्यादा दिखता है जहॉ के लोग बेरोजगार है। क्योंकि उनके पास समय बिताने के लिए और कुछ नही मिलता। लोगों के पास अब वक्त ही कहॉ है इस तरह की बातों में समय जाया करने का। लोगों को तो अपने काम से ही वक्त नही मिलता। इन बेकार की बातों में अपना दिमाग क्यों खपाएगें कि किस क्षेत्र में कितनी जातियॉ है और उनकी संख्या क्या है। बेहतर होता सरकार इसके बदले कुछ ऐसे नियम बनाती जिससे लोगो का फायदा होता। लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब होती। महगॉई सुरसा के मुह की तरह विकराल रूप धारण किये हुए है। आम इंसान महगॉई के पाटो के बीच गेहुॅ की तरह पिस रहा है और सरकार जाति का जाप कर रही है।
आपका क्या कहना है इस बारे में। अपनी राय से अवगत कराये।
सही प्रश्न उठाया है आपने ...इस सब से सिर्फ़ भ्रष्ट राजनेता अपना मन्तव्य ही साधेंगे .....आभार !
ReplyDeleteसही कह रहे हो अमित भाई इससे तो सिफ नेताओ को फायदा होगा
ReplyDeleteइस देश से जातीयता खत्म नहीं हो रही है तो इसके लिए देश के नेता ही जिम्मेदार हैं.... ये मतगणना समाज में विद्वेष फैला सकती है ये जरूरी नहीं है... मगर नेता इससे फायदा जरुर उठाना चाहेंगे...
ReplyDeleteजातिगत भावना और विकराल होगी और भ्रष्ट नेताओं के मनसूबे पूरे होंगें..... जनता को यक़ीनन कोई फायदा नहीं होने वाला .......
ReplyDeleteबात समाज के भले की हो या ना हो, लेकिन राजनेता उसके द्वारा अपना भला करना जानते हैं, और क्योंकि हमारा समाज चिरनिंद्रा में लीन समाज है इसलिए यह लोग फायदा उठा भी आसानी से लेते हैं...
ReplyDeleteसही कह रहे हो अमित जी
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regards,
dr.bhoopendra
rewa
mp
आपका सोचना सही है...
ReplyDeleteबहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने.......
बिलकुल सही कहा आपने...बहुत सुन्दर सहज रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने....
बधाई आपको
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जाति आधारित गणना से केवल राजनीतिक पार्टियों को ही फायदा होगा।
ReplyDeleteजाति आधारित गणना से केवल राजनीतिक पार्टियों को ही फायदा होगा, जातिगत भावना को घटाने के बजाय उसे बढ़ाने का काम किया जाएगा, पिछड़ी जातियों की सहायता के नाम पर कुछ और कमाई होगी... नुकसान में जनता ही रहेगी.... अच्छा मुद्दा उठाया है आपने
ReplyDeleteनेता गण हर काम अपने नफा-नुकसान के हिसाब से ही करते हैं ...
ReplyDeleteजाति आधारित जनगणना भी उसी उद्देश्य से होने जा रही है |
.................................सही मुद्दे पर सार्थक बहस
बिलकुल सही कहा आपने जाति आधारित गणना से केवल राजनीतिक पार्टियों को ही फायदा होगा।
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