इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Saturday, May 14, 2011

इश्क और गुनाह..........


चित्र गुगल साभार



इश्क करना गर गुनाह है
तो बेशक मैं गुनहगार हुँ।
आशिक हुँ मैं
तेरी मोहब्बत का तलबगार हुँ।

तेरा प्यार जन्नत है मेरा
तेरे प्यार पर मैं दोनों जहाँ वार दूँ।
आशिक हुँ मैं
तेरी मोहब्बत का तलबगार हूँ।

तलाश करती है जिसे तेरी निगाहें
गौर से देखो मैं वही बहार हुँ।
आशिक हुँ मैं
तेरी मोहब्बत का तलबगार हुँ।

तुम लाख करो कोशिश मुझसे नजरे चुराने की
तेरे दिल को जो सुकून दे मैं वो करार हुँ।
आशिक हूँ मैं
तेरी मोहब्बत का तलबगार हूँ।

20 comments:

  1. बहुत खूब ... अमित जी.... दिल के भावों को बहुत शशक्त बयान किया है आपने ...

    ReplyDelete
  2. गहरे जज्बात के साथ बेहतरीन कविता...

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया लिखा है सर!

    सादर

    ReplyDelete
  4. तलाश करती है जिसे तेरी निगाहें
    गौर से देखो मैं वही बहार हुँ।

    बहुत खूब, दिल छु लिया इन पंक्तियों ने

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन अभिव्यक्ति .....आभार !

    ReplyDelete
  6. तुम लाख करो कोशिश मुझसे नजरे चुराने की
    तेरे दिल को जो सुकून दे मैं वो करार हुँ।
    ............kash wo ye samajh paaye........bahut khoobsurat.

    ReplyDelete
  7. वाह क्या बात है, खुबसूरत शेर से सजी गज़ल, मुबारक हो .....

    ReplyDelete
  8. तुम लाख करो कोशिश मुझसे नजरे चुराने की
    तेरे दिल को जो सुकून दे मैं वो करार हुँ।

    .....बहुत खूब !

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर...
    टाइपिंग में जरा-सी चूक हो गई है इसलिए ठीक नहीं लग रहा...
    जन्नत है मेरा, में मेरी कर लीजिए....

    ReplyDelete
  10. बहुत खूब ... इश्क तो एक पूजा है .. गुनाह नही ...

    ReplyDelete
  11. गहरे जज्बात के साथ बेहतरीन कविता| धन्यवाद|

    ReplyDelete
  12. man ke bhavon ko aap ne bakhubi kah diya hai.........sunder prastuti.

    ReplyDelete
  13. बहुत ही प्रभावशाली रचना है एक एक पंक्ति दिल की तह तक जाती है..बेहतरीन

    ReplyDelete
  14. क्या बात है, बहुत बढ़िया.

    ReplyDelete
  15. दिल को छू रही है आपकी रचना .

    बहुत बढ़िया लिखते हैं आप

    ReplyDelete
  16. इश्क करना गर गुनाह है
    तो बेशक मैं गुनहगार हूं ।

    इससे उत्तम तो कोई गुनाह है ही नही ।

    बहुत खूब ।

    ReplyDelete
  17. bahut badhiya...
    कृपया मेरी भी कविता पढ़ें और अपनी राय दें..
    www.pradip13m.blogspot.com

    ReplyDelete
  18. तुम लाख करो कोशिश मुझसे नजरे चुराने की
    तेरे दिल को जो सुकून दे मैं वो करार हुँ।
    आशिक हूँ मैं
    तेरी मोहब्बत का तलबगार हूँ।
    bahut bahut bahut khub likha hai aapne
    pyar or tadap ka ehsas...waha

    ReplyDelete