चित्र गूगल साभार
बरसात की एक खुशनुमा शाम। अभी थोड़ी देर पहले ही तेज बारीश हुई जिसकी वजह से हवा में नमी आ गई और पुरे दिन की उमस भरी गर्मी से छुटकारा मिला। अब ऐसे मौसम मे भला किसका दिल रूमानियत से नही भरेगा। इसलिए मैं भी चल दिया ऐसे मौसम का मजा लेने।
तभी पीछे से अचानक एक आवाज आई - कहॉ चल दिए चन्द्रा बाबु!
इस आवाज को मैं अच्छी तरह से पहचानता था। मैं समझ गया ‘‘हो गया आज की शाम का बेड़ा गर्क‘‘। मैं पीछे पलटा। मेरे पीछे दुखिया 5 फीट 7 इंच के कैनवस में मुस्कुरा रहा था।
मैंने पुछा - और बताओ भाई कैसे हो। चाय-वाय पी ली।
उसने कहा - हॉ जी अभी अभी कलुआ की अम्मा ने नोकिया मोबाईल के साथ चाय पिलाई है।
मैं हड़बड़ाया। मैने कहा - ये क्या बक रहे हो? अरे बिस्किट के साथ चाय तो सुना था ‘‘ये मोबाईल के साथ चाय‘‘ समझ में नहीं आया।
आप भी न! जानकर अनजान बनते है चन्द्रा बाबु।
वो कैसे? मैने कहा।
उसने कहा- अरे सर जी! जब सरकार मुफ्त में लोगों को रोटी नही बल्कि मोबाईल बॉटेगी तो बिस्किट के साथ चाय कौन पियेगा। अब तो सुबह के नास्ता में सैमसंग, दोपहर के खाने में ब्लैक बेरी, शाम के चाय के साथ नोकिया और रात के खाने में एक अदद सोनी इरेक्सन।
धड़ाम! ऐसा लगा जैसे मेरे सर पर ओला गिरा हो।
मैं खामोश एकदम बुत की तरह और दुखिया राजधानी एक्सप्रेस बना हुआ था।
अब देखिये हमारे एक नेता जिनका प्रमोशन कर गृह मंत्रालय से वित्त मंत्रालय भेज दिया गया उन्होंने कहा था - यहॉ की जनता पन्द्रह रूप्ये का आईसक्रीम तो खा सकती है मगर गेहुॅ और चावल में दो रूप्ये की बढ़ोत्तरी बर्दाश्त नही कर सकती। अब भला उन्हे कौन समझाए कि हमलोग एक बार आईसक्रीम खा कर एक महीना गुजार सकते हैं लेकिन एक दिन रोटी खाकर एक महीना कैसे गुजारे। और अब ताजा खबर ये है कि डीजल की कीमत में पॉच रूप्ये की बढ़ोत्तरी हुई है। हमारी भारतीय जनता वैसे भी मॅहगाई की वजह से लंगोट पर जी रही है अब तो ये भी उतरने वाली है। कोढ़ में खाज वाली एक और बात सुनिये- पहले तो सरकार ने हमारी थाली सीमित कर दी अब उन्होने रसोई गैस भी सीमित कर दिया है। यानि की अब साल में सिर्फ छः सिलेडंर मिलेगे। वैसे भी भारत की आधी जनता में वो दम तो रहा नही कि महगांई की वजह से वो दो वक्त का सही से खाना खा सके। इसलिए सरकार ने सोचा कि भाई जब तुम दो वक्त का खाना खा नही सकते तो साल में इतने सिलेडंर ले कर क्या करोगे। इसलिए उन्होनें इसकी संख्या आधी कर दी।
मैने उसे प्यार से समझाया-देखो सरकार के खजाने खाली है उसे भरने के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा न। सही बात है चन्द्रा बाबु! घोटाले करने के लिए सरकार के पास अरबों खरबों रूप्ये आ जाते है लेकिन जनता के नाम पर उनके खजाने खाली हो जाते है।
वो एक ठंडी आह भरते हुए बोला- शुक्र है सरकार ने ऑक्सीजन सीमित नही किया है।
मैने पुछा- क्या मतलब!
मतलब ये कि अब तो डर लग रहा है कि सरकार कहीं ये न कह दे कि भाई वायु प्रदुषण की वजह से वायुमडंल में आक्सिजन की कमी हो रही है, इसलिए सभी व्यक्ति एक दिन में सिर्फ 100 बार ही सॉस लेगें और जो उससे ज्यादा सॉस लेगा उसे 50 रूप्ये प्रति सॉस की दर से सरकार को टैक्स देना होगा। आप तो कहते थे कि कॉंग्रेस का हाथ आप के साथ। अब खुद कॉग्रेस बताए ‘‘ कॉग्रेस का हाथ किसके साथ‘‘।
हिन्दीदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआपका इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (15-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
Deleteकिसी के साथ नहीं है ये हाथ
ReplyDeleteहाथ हथौड़ा है सखे, भाग सके तो भाग |
ReplyDeleteखुली खदानें हैं पड़ी, भस्म कोयला आग |
भस्म कोयला आग, गैस से भरी खदाने |
कर खुदरा व्यापार, कमीशन इसी मुहाने |
शीश घुटाले घड़े, बड़ा चिकना अति भौंड़ा |
कर ले फिंगर क्रास, इटलियन हाथ हथौड़ा ||
दाने खा लो अंकुरित, पी लो सत्तू घोल ।
ReplyDeleteपाव पाइए प्रेम से, ब्रेड पैकेट लो मोल ।
ब्रेड पैकेट लो मोल, लंच में माड़-भात खा ।
काटो मस्त सलाद, शाम को मूढ़ी चक्खा ।
चाय बना इक बार, डालिए हॉट पॉट में ।
फास्ट फूड दो मिनट, पकाओ एक लाट में ।।
आशा है मेहमान की, होना नहीं निराश ।
खिला बताशा दे पिला, पानी बेहद ख़ास ।
पानी बेहद ख़ास, पार्टी उससे मांगो ।
करिए ढाबा विजिट, शाम को बाहर भागो ।
ख़तम होय न गैस, गैस काया में पालो ।
न तलना ना भून, सदा हर चीज उबालो ।।
चाटुकार *चंडालिनी, चले चाट सामन्त ।
ReplyDeleteआग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।
तले पकौड़ी पन्त, कीर्ति मँहगाई गाई ।
गैस सिलिन्डर ख़त्म, *कोयले की अधमाई ।
*इडली अल्पाहार, कराये भोजन *जिंदल ।
इटली *पीजा रात, मनाते मोहन मंगल ।।
सुवन सातवाँ सिलिंडर, माया लड़की रूप ।
ReplyDeleteछूट उड़ी आकाश की, वाणी सुन रे भूप ।
वाणी सुन रे भूप, कंस कंगरसिया मामा।
पैदा खुदरा पूत, आठवां कृष्णा नामा ।
लेगा तेरे प्राण, यही वह पुत्र आठवाँ ।
किचेन देवकी जेल, कहे है सुवन सातवाँ ।।
कांग्रेस का हाथ गरीब की जेब में है जी. कोयले के साथ है सीधा सपाट सवाल है .तभी देश का ये हाल है .अब प्रधानमन्त्री जी हाथ में खंजर लिए शहादत की मुद्रा में कह रहें हैं ऐसे नहीं जायेंगे ,ऐसी तैसी पूरी करके जायेंगे .
ReplyDeleteram ram bhai
शनिवार, 15 सितम्बर 2012
सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए
बहुत करारा व्यंग्य सही में लगता है एक दिन सांस लेने पर भी टेक्स लग जाएगा बधाई इस बेहतरीन आलेख के लिए
ReplyDeleteकांग्रेस का हाथ भ्रष्टाचारियों,कालाबाजारियों,लुटेरों,दंगाईयों के साथ
ReplyDeleteGyan Darpan