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Sunday, January 23, 2011

280 लाख करोड़ का सवाल है ...


भारतीय गरीब है लेकिन भारत कभी गरीब नहीं रहा। ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का। स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रूपये नके स्विस बैंक में जमा है। ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है या यूॅ कहे कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिये जा सकते है या यॅू भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गॉव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है। ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है। ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रूपये हर महीने भी दिये जाए तो 60 साल तक खत्म ना हो। यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने की कोई जरूरत नहीं है। जरा सोचिए हमारे भ्रष्ट  राजनेताओं और नौकरशाहो  ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक बदस्तूर जारी है। उस लिसिले को अ रोकना बहुत ज्यादा परूरी हो गया है। अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालों तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रूप्ये की लूट की मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रष्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है। एक तरफ 200साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है। यानि हर साल लगभग4.37 लाख करोड़ या हर महीने करीब 36 हजार करोड़। भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है। भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नही है। सोचो कि कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्चाधिकारियों ने ब्लाक कर रखा है। और उपर से यह कि हमारे प्रधानमंत्री ऐसे लोगों का नाम उजागर नहीं करना चाहते है। आखिर क्यों। ये पैसे किसी के किसी के खेतों में नहीं पैदा हुए है। ये जनता की खुन पसीने की कमाई जिसे इन हरामखोरों ने रोक रखा है। आज जहॉ आम जनता महगॉई के मार से त्रस्त है। किसी के थाली में रोटी है तो दाल नहीं है, तो किसी में सब्जी नहीं है और कोई भुखे पेट सोने को मजबुर है। कभी आटा महगॉ तो कभी दाल, कभी चीनी महॅगी तो कभी तेल। ये सरकार तो कसाई से भी गई गुजरी है। कसाई जब बकरे को हलाल करता है तो तुरत ही उसका गर्दन धड़ से अलग कर देता है। पर यहॉ तो लोग तिल तिल कर मरने को मजबुर है। हद हो गई है अराजकता की। चंद दिनों के बाद गणतंत्र दिवस है। लोग आएगें लाल किले पर झडां फहराएगें। दो चार भाषणों का दौर होगा और उसके बाद सब खत्म। अंग्रेजों ने जब 200 सालों में 1 लाख करोड़ रूप्ये लूटे तो हमने उनके खिलाफ क्रांति का बिगुल बजा दिया। अब एक बार फिर से वक्त आ गया है कि एक और क्रांति का आगाज हो और सारे पैसे भारत वापस लाए जाये और उन्हें भारत एवं उसकी जनता की भलाई एवं समृद्धी में खर्च किये जाए एवं उन सभी भ्रष्ट लोगो के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए तभी सही मायने में हम स्वतंत्र होगें। आइए इसे एक आंदोलन का रूप दे।

सदियों की ठण्डी बुझी राख सुगबुगा उठी 
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर नाद सुनो
सिहासन खाली करो की जनता आती है।

जनता? हां वही मिट्टी की अबोध मुर्ति, वही जाड़े पाले की कसक सदा सहने वाली। जागों और छीन लो अपना अधिकार जिस पर कुछ लोग अजगर की तरह कुडंली मारकर बैठे हुए है।

यह आलेख मुझे मेल से मिला था जिसमें कुछ फेर बदल कर मैनें पोस्ट किया है। आप अपने बहुमुल्य सुझावों से अवगत कराए।

  

12 comments:

  1. बहुत ही सामयिक पोस्ट |
    गोरे अंग्रेजों से अधिक खतरनाक हैं ये काले अंग्रेज |
    देश का खजाना लूटकर बाहर के बैंकों में जमा कर रखा है फिर भी लूट जारी किये हुए हैं |
    अब जागरूक जनता का महान्दोलन ही देश को बचा सकता है !

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  2. बहुत ही सार्थक और समसामयिक प्रस्तुति..

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  3. अमित जी, एक साथ जब तक ये देश खड़ा नहीं होगा शायद कुछ भी सकारात्मक नहीं होने वाला. सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपका आभार.

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  4. आम आदमी के हित में आपका योगदान महत्वपूर्ण है।
    उपयोगी जानकारी देने के लिए धन्यवाद!
    -डॉ० डंडा लखनवी
    ====================================
    आज हम चरित्र-संकट के दौर से गुजर
    रहे हैं। कोई ऐसा जीवन्त नायक युवा-पीढ़ी
    के सामने नहीं है जिसके चरित्र का वे
    अनुकरण कर सकें?
    ============================
    मुन्नियाँ देश की लक्ष्मीबाई बने,
    डांस करके नशीला न बदनाम हों।
    मुन्ना भाई करें ’बोस’ का अनुगमन-
    देश-हित में प्रभावी ये पैगाम हों॥
    सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी

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  5. आंकड़े चकित करने वाले हैं।
    अब तो हर भारतीय को कहना चाहिए कि हमसे लूटा गया पैसा हमें वापस करो।

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  6. ज़रूरी सवाल .
    सामयिक और बेहतरीन पोस्ट.

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  7. आकडे तो चौकाने वाले है, मंत्रीयो द्वारा डकारा गया पैसा पता नही कब भारत आयेगा?
    सार्थक लेख

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  8. ये आंकड़े बता रहे हैं ना की भारत कितना गरीब देश है :) अफ़सोस .....
    प्रासंगिक और प्रभावी अभिव्यक्ति

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  9. बहुत ही विचारणीय पोस्ट. काश ऐसा ही होता और ये पैसे वापस आ पाते.

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  10. छीनना ही होगा. आभार..

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  11. मुझे आशंका इस बात की सता रही है की सरकार के जागने से पहले कहीं खाताधारक लोग जाग जाएँ, और अपना-अपना माल खिसकाना न शुरू कर दें?
    Happy Republic Day!

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  12. सामयिक और बेहतरीन पोस्ट.
    बहुत पसन्द आया

    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ.

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