प्यार
प्यार एक ऐसा शब्द जो जानता है सिर्फ देना
जिसमें कोई सौदा नहीं और ना ही किसी से कुछ लेना।
तुम बताओ जरा क्या दे सकती हो सूरज को रोशनी के बदले में
तुम्हें शायद नहीं पता क्या मजा है धीरे-धीरे जलने में।
चाँद की शीतल चाँदनी बिना कुछ लिए धरा पर उतरती है
दरख्तों की ठंडी छाँव बिना कुछ कहे हौले-हौले बिखरती है।
हवाओं का क्या मोल दिया है तुमने जीने के लिए
ये तो अनवरत बहती है फकत देने के लिए।
तुमने पूछा था मुझसे एक दिन के प्यार एकतरफा नहीं होता है
जो भी उतरता है इस दरिया में वो कुछ पाता नहीं सिर्फ खोता है!
जो भी उतरता है इस दरिया में,
ReplyDeleteवो कुछ पाता नहीं सिर्फ खोता है!
सही कहा. जो पाने कि कोशिश करे, वो तो प्यार नहीं- प्रपंच कहलाता है. जो खोने को तैयार रहे, वो ही खरा प्यार होता है. शुभकामनायें.
सही कहा प्यार सिर्फ देना जानता है लेना नही
ReplyDeleteसुन्दर रचना
सुन्दर रचना .....
ReplyDeleteतुमने पूछा था मुझसे एक दिन के प्यार एकतरफा नहीं होता है
ReplyDeleteजो भी उतरता है इस दरिया में वो कुछ पाता नहीं सिर्फ खोता है!
amit ji kya sunder sar parstut kiye hai aap is kavita ke madhyam se........ nayab
pyar men souda nahi sundar abhivyakti, badhai
ReplyDeleteसच दुनिया मे प्यार से ज्यादा प्यारा और कोई शब्द हो ही नही सकता
ReplyDeleteअर यदि इंसान इस एक शब्द को समझ ले तो उसे कुछ भी समझने की जरूरत ही नही
pyar yesa hi hota hai
ReplyDeletesunder abhivykti
is bar mere blog par
"main"
aapko nav varsh ki hardik badhayi
जो प्यार सिर्फ देना जानता है लेना नही वोही खरा प्यार होता है| शुभकामनायें|
ReplyDeleteवाह जी वाह, प्यार सिर्फ देना जानता है.............आभार.
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"तुमने मेरी पत्नी की बेइज्जती की थी" लघु कथा पर आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा.
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तुमने पूछा था मुझसे एक दिन के प्यार एकतरफा नहीं होता है
ReplyDeleteजो भी उतरता है इस दरिया में वो कुछ पाता नहीं सिर्फ खोता है!
बखूबी अभिव्यक्त किया है प्यार को सच में प्यार में सिर्फ देना होता है लेना नहीं ...सहज समर्पण है प्यार ... ,,हर एक शेर लाजबाब है क्या कहें ...बहुत बढ़िया अंदाज ...शुक्रिया
बहुत सुन्दर रचना..!
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