चित्र गूगल साभार
नेता जी] नेता जी एक बात बताईये
ये मामला क्या है जरा हमें भी समझाईये।
मंत्री बनने से पहले आपके घर में फॉके बरसते थे
धोती तो क्या आप लंगोट को भी तरसते थे।
ये कैसी आपने जादू की छड़ी घुमाई है
हम सभी को छोड़ लक्ष्मी आपके द्वार आई है।
हम तो अभी भी पैदल ही सफर करते है
आप तो अब जमीं पर पॉंव भी नही रखते है।
नेता जी बोले धत्त पगले क्यों मजाक करता है
हम शरीफों पर क्यों बेवजह दोष मढ़ता है।
हम तो जनता के सेवक है जनता का दिया खाते है
जो बच जाता है उसे दुसरे देश **स्वीस बैंक** भिजवाते है।
हम तो बसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते है
इसलिए तो देश की संपत्ति को अपना समझते है।
सादगी और सद्भावना की जिंदा मिसाल है हम
अब समझ में आया कि हैं कितने कमाल के हम।
ये कैसी आपने जादू की छड़ी घुमाई है
ReplyDeleteहम सभी को छोड़ लक्ष्मी आपके द्वार आई है...
सही लपेटा है आज तो नेताजी को आपने ... ये लोग नेता बनते ही इसलिए हैं की लक्ष्मी बरसे ...
सादगी और सद्भावना की जिंदा मिसाल है हम
ReplyDeleteअब समझ में आया कि हैं कितने कमाल के हम।
.....बहुत ही बढ़िया व्यंग्य
हम तो बसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते है
ReplyDeleteइसलिए तो देश की संपत्ति को अपना समझते है।
बहुत बढ़िया व्यंगात्मक रचना....
sunder rachna ....
ReplyDeletehttp://jadibutishop.blogspot.com
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आया ... सुंदर पोस्ट आप भी इधर मेरे ब्लॉग पर नहीं आये है
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यबाद मेरी रचना को चर्चा मंच पर जगह देने के लिए.
ReplyDeleteआपसे सहमत शत प्रतिशत.....
ReplyDeletenice one.....keep it up.
ReplyDeleteबढ़िया लगी आपकी रचना अमितजी ..पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ
ReplyDeleteइसी तरह अपना आशीर्वाद बनाये रखे.
Deleteलक्ष्मी जी उनके हिस्से हमारे हिस्से उल्लू जी..
ReplyDeleteजी हाँ बिलकुल सही.
Deleteबहुत सुंदर और सटीक व्यंग...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
bahut badhiya vyangyatmak prastuti
ReplyDeleteहम तो बसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते है
ReplyDeleteइसलिए तो देश की संपत्ति को अपना समझते है।
बहुत बढ़िया....
एकदम सटीक.....
बहुत बढ़िया रचना...
ReplyDeletevery beautiful amait ji
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