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Thursday, November 8, 2012

कोई यहॉ हिन्दु कोई मुसलमान रह गया


चित्र गूगल साभार





दिल में तेरी यादों का तुफान रह गया
बस्तियॉ लुट गई सारी खाली मकान रह गया।

जुल्म और नफरत से भर गई दुनिया
इन्सान अब कहॉ इन्सान रह गया।

ताउम्र ख्वाहिशों को ही जीता रहा मगर
दिल में बाकी फिर भी कुछ अरमान रह गया।

इन्सान अब रहा नहीं तेरी दुनिया में ऐ खुदा
कोई यहॉ हिन्दु कोई मुसलमान रह गया।

7 comments:

  1. waah janab!
    http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/

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  2. बहुत खूब .....


    दीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ

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  3. समसामयिक और सामाजिक चिंता को लेकर लिखी गई रचना बहुत अच्छी लगी।

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  4. इन्सान अब रहा नहीं तेरी दुनिया में ऐ खुदा
    कोई यहॉ हिन्दु कोई मुसलमान रह गया।
    सच है इन्सान इंसानियत को भूल गया बाकी सब याद है उसे ... दीपावली की बहुत - बहुत शुभकामनाएं...

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  5. सच है ... इंसान अब कहीं नहीं मिलते ... अपने अपने खोल में रहने लगे हैं सब .. शशक्त भाव ...

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  6. बहुत खूब .सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति. कमाल का शब्द सँयोजन
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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