चित्र गूगल साभार
दिल में तेरी यादों का तुफान रह गया
बस्तियॉ लुट गई सारी खाली मकान रह गया।
जुल्म और नफरत से भर गई दुनिया
इन्सान अब कहॉ इन्सान रह गया।
ताउम्र ख्वाहिशों को ही जीता रहा मगर
दिल में बाकी फिर भी कुछ अरमान रह गया।
इन्सान अब रहा नहीं तेरी दुनिया में ऐ खुदा
कोई यहॉ हिन्दु कोई मुसलमान रह गया।
waah janab!
ReplyDeletehttp://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/
बहुत खूब .....
ReplyDeleteदीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
समसामयिक और सामाजिक चिंता को लेकर लिखी गई रचना बहुत अच्छी लगी।
ReplyDeleteइन्सान अब रहा नहीं तेरी दुनिया में ऐ खुदा
ReplyDeleteकोई यहॉ हिन्दु कोई मुसलमान रह गया।
सच है इन्सान इंसानियत को भूल गया बाकी सब याद है उसे ... दीपावली की बहुत - बहुत शुभकामनाएं...
Bahut khoob..
ReplyDeleteसच है ... इंसान अब कहीं नहीं मिलते ... अपने अपने खोल में रहने लगे हैं सब .. शशक्त भाव ...
ReplyDeleteबहुत खूब .सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति. कमाल का शब्द सँयोजन
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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