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Saturday, December 15, 2012

ये शराब है............


चित्र गूगल साभार





कातिलाना रूप इसका हुस्न लाजवाब है
देख पैमाने में कैसे बलखाती ये शराब है।

दौर-ए-महफिल हो या हो गमों की बारिशें
तश्नालब की तिश्नगी मिटाती ये शराब है।

लगता है मयकदे में हुजूम शब-ओ-रोज
मयकशों को उंगलियों पर नचाती ये शराब है।

होश में रहने दे अब और न पिला साकी
राज दिलों के सारे खोलती ये शराब है।

11 comments:

  1. बेहतर लेखन !!

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  2. सुभनअल्लह. बहुत खूब..

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  3. बहुत खूब

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  4. वाह!बहुत सराहनीय प्रस्तुति

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  5. होश में रहने दे अब और न पिला साकी
    राज दिलों के सारे खोलती ये शराब है।
    .
    in akhiri panktiyon men sari sachchai sharab ki aa gayee.... behatarin

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  6. होश में रहने दे अब और न पिला साकी
    राज दिलों के सारे खोलती ये शराब है ...

    सच कहा है .. मदहोश जो कर देती है ... लाजवाब शेर ...

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  7. wahhh,,,,bahut umda..
    राज दिलों के सारे खोलती ये शराब है।
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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  8. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण,आभार है आपका

    आज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है


    ये कैसी मोहब्बत है

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  9. idhar bahut din baad aai
    magr aayee to aap ki " sharab" chakhe bina ja na saki
    waaqayee badhiya hai

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