कई कोशीशों के बाद जिंदगी को एक मकाम मिलता है
ये कलियुग है दोस्त शायद ही यहाॅ कोई राम मिलता है।
जज्ब-ए-दुआ-औ-खैर बन चुकी है किस्सा अतीत का
जुल्म-ओ-नफरत से भरा दिल यहाॅ सरेआम मिलता है।
ये कौन सा शहर है कोई बताए हमें
हर शख्स हमें यहाॅ बदनाम मिलता है।
लगता है हवाओं ने बदल दिया है रूख अपना
उनका अब कहाॅ कोई पैगाम मिलता है।
आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल {बृहस्पतिवार} 19/09/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
कई कोशीशों के बाद जिंदगी को एक मकाम मिलता है
ReplyDeleteये कलियुग है दोस्त शायद ही यहाॅ कोई राम मिलता है। ..
बहुत खूब ... अच्छा शेर है ... पर अगर इन्सान मन से राम बन सके तो इस कलयुग में भी हर किसी को राम मिलेंगे ...
वाह बहुत खूब। ………।बदे दिनों बाद आपकी कोई पोस्ट नज़र आई है आपके फोटो को देख के लगता है कि डोले-शोले बनाने में बिजी थे :-))
ReplyDeleteसुंदर रचना...
ReplyDeleteआप की ये रचना आने वाले शुकरवार यानी 20 सितंबर 2013 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है... ताकि आप की ये रचना अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है... आप इस हलचल में शामिल अन्य रचनाओं पर भी अपनी दृष्टि डालें...इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है...
उजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज 2 रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।
आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
इस के लिये आप को मात्रkuldeepsingpinku@gmail.com पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।
मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]
बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeletedownloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
सुंदर रचना!
ReplyDeletelatest post: क्षमा प्रार्थना (रुबैयाँ छन्द )
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सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर.....
ReplyDeleteकई कोशीशों के बाद जिंदगी को एक मकाम मिलता है
ReplyDeleteये कलियुग है दोस्त शायद ही यहाॅ कोई राम मिलता है।
बहुत सुन्दर,राम खुद भी तो अब यहाँ कही नहीं रहना चाहता.
अपनी संस्कृति अपने संस्कार ही हम खो चुके, व न ही अब पारिवारिक आदर्शों में उनका कोई स्थान है खुद भी बदनामी के दामन से बचे रहेंगे,अच्छा है राम को परेशां न करो.
बहुत सुंदर
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