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Wednesday, January 19, 2011

याद




याद आता है मुझे
तेरे साथ गुजरा वो जमाना।
तुम्हारा हॅसना, मुस्कुराना
छोटी-छोटी बातों पर 
तुम्हारा रूठ जाना।

याद आता है मुझे
तेरे साथ गुजरा वो जमाना।
वो पहली बार
मेरे हाथों को चुमना
और फिर मुझे देखकर
अपनी नजरें चुराना।

याद आता है मुझे
तेरे साथ गुजरा वो जमाना।
तेरी याद में रातों को जागना
और चॉद में
तेरा बिंब तलाशना।

याद आता है मुझे 
तेरे साथ गुजरा वो जमाना।
देखकर मुझे अपने सामने
शर्म से नजरें झुकाना
दिल का बेजार धड़कना और
लरजते होठों का कंपकपाना।
याद आता है मुझे 
तेरे साथ गुजरा वो जमाना।

23 comments:

  1. वाह! बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।

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  2. अकेले में तुमाहरी याद आना अच्छा लगता है
    तुम्ही से रूठना तुमको मना अच्छा लगता है.
    बहुत अच्छे अमित भाई

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  3. अमित भाई,
    कविता पढते पढते फलैशबैक मे चला गया था।
    ये आपके लेखन एवं सुन्दर शब्दो का ही तो असर है।
    शुभकामनाये

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  4. आदरणीय अमित जी
    नमस्कार !
    सूक्ष्म पर बेहद प्रभावशाली कविता...सुंदर अभिव्यक्ति..प्रस्तुति के लिए आभार जी

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  5. बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.

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  6. बहुत ही सुन्दर , मासूम सी रचना ।

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  7. सुंदर यादों से सजी बहुत ही भावपूर्ण कविता..सुंदर प्रस्तुति..

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  8. वाह जी वाह बड़ी ही "Cute" रचना ! बधाई.

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  9. bahut sunder blog, aur sunder shabd, sunder ahsaas.
    http://neelamkashaas.blogspot.com/2010/10/blog-post.html ...pl post ur comments!!

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  10. अमितजी,
    प्रेम रस में डुबो दिया आपकी श्रृंगारिक रचना ने !

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  11. बहुत ही सुन्दर यादों से सजी बहुत ही भावपूर्ण कविता...अपना सा लगा !!!!

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  12. कविता अच्छी फोटो उससे ज्यादा अच्छी.

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  13. यादें कहाँ छोड़ कर जाती हैं..बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति

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  14. काव्य में
    यादों की खूबसूरती झलक रही है
    वाह !!

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  15. बहुत सुन्दर कविता है आप की भाव पूर्ण है
    बहुत बहुत शुभकामना

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  16. wah ............bhavpoorna rachana.........yu hii likhte rahiye .............shubhakamnaaye

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  17. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 25-01-2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  18. बेहतरीन ..... सुंदर भाव लिए एक मासूम सी रचना

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  19. तनहाई मे गुजरे जमाने की याद टॉनिक का काम करती है, लगता है हम उसी गुजरे जमाने मे जी रहे हैं। सुंदर भावपूर्ण रचना।

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