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Saturday, July 23, 2011

अब और क्या बचा है मेरे पास


चित्र गुगल साभार



सबकुछ तो दे दिया तुम्हें
अपनी नींद, चैन
भुख और प्यास
अब और क्या बचा है
मेरे पास।
कुछ भी तो नहीं है
सिवा चंद धुंधली यादों के।
उन यादगार लम्हों को ही
घूॅट घूटॅ कर पीता हॅु।
ख्वाबों को सिरहाने रख
एहसासों को बिछाता हुॅ।
जज्बातों को ओढ़कर
कोशीश करता हुॅ
गुजरे हुए लम्हों को
खींच कर उन्हें
अपने करीब लाने की।
पर क्या करू
पलकें भारी नहीं होती
और न ही
पहले की तरह चाॅद
बातें करता है।
रात गुजरती जा रही है
हाथ में पकड़े हुए
रेत की तरह
लम्हा - लम्हा।
बड़े मनुहार के बाद
चाॅद मुंडेर पर आकर
बैठता है।
मैने पुछा उससे
क्या हुआ
तुम मुझसे बात क्यों नही करते।
उसने कहा कि
क्या बात करू तुमसे
कुछ भी तो तुम्हारा नही रहा
बात करने को।
अपना अस्तित्व तक तुमने
उसे समर्पित कर दिया है।
मैं तो आज भी वही हुॅ
पर तुम!
अब तुम
तुम नही रहे।

24 comments:

  1. behad sashakt rachna... kyau hua agar chaand baat na kare... to... jiske liye badle... jise sarswa samarpit kar diya wo to baat karta hai na.... bas...

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  2. मैं तो आज भी वही हुॅ
    पर तुम!
    अब तुम
    तुम नही रहे।

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति , बहुत खूबसूरत

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  3. मन के भावो को बहुत ही खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया है आपने....

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  4. bhaut hi khubsurat aur saskat panktiya hai....

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  5. पर तुम!
    अब तुम
    तुम नही रहे।

    बिल्कुल नई भावभूमि पर रची गई कविता अच्छी लगी।

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  6. बहुत बढ़िया सर ।

    सादर

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  7. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  8. lagta hai apko purani mahbooba ka abhi tak intzar hai. meri salah hai ki aap us bebafa ko bhulkar kisi bafadar ladki se dil lagaiye aur is khoobsoorat jindgi ko rangeen banaiye.

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  9. बहुत सुन्दर .....बहुत खूबसूरत

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  10. अपना अस्तित्व तक तुमने
    उसे समर्पित कर दिया है।
    मैं तो आज भी वही हुॅ
    पर तुम!
    अब तुम
    तुम नही रहे।.........behad khubsurat abhivyakti....

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  11. मन की परतो में वो प्यार अभी भी कहीं है

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  12. कल 27/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  13. अपना अस्तित्व तक तुमने
    उसे समर्पित कर दिया है।
    मैं तो आज भी वही हुॅ
    पर तुम!
    अब तुम
    तुम नही रहे।.
    बहुत बढ़िया भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  14. सब कुछ चीन लेना चाहते हैं वो ... प्यास में कितने घुद्गार्ज हो गए हैं ... भाव पूर्ण रचना ...

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  15. very nice......keep it up

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  16. भावपूर्ण रचना | सब कुछ तो दे दिया अब और क्या दूँ बहुत खूब दोस्त जी |

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  17. वाह अमित जी ......
    पूरी की पूरी रचना ..अंतस के भाव सुमनों की गुंथी सुन्दर माला सी
    वियोग का बहुत ही भावपूर्ण चित्रण

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  18. दिल से निकले भाव दिल तक जाते हुए....
    सादर...

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  19. मैं तो आज भी वही हुॅ
    पर तुम!
    अब तुम
    तुम नही रहे।

    खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  20. प्रेम समर्पण का ही नाम है। अफसोस,कि यह एकतरफा रहा!

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  21. सुंदर भाव लिए रचना ...बहुत बढ़िया....

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