कुछ दिनों पहले ये ग़ज़ल मेरे मेल पर आया हुआ था। ये रचना किसकी है मुझे नही मालुम। मैं उसे हु ब हु यहॉ दे रहा हुॅ।
तु अगर मेरा नही तो फिर ऐसा क्यूॅ है
मेरी ऑखों से तेरे ख्वाब का रिश्ता क्यूॅ है।
रास क्यूॅ आता नही मुझको खुशी का मौसम
गम का बादल मेरी आखों से बरसता क्यूॅ है।
गम के दरिया के उस पार है खुशी का साहिल
इश्क करता है तो रूसवाई से डरता क्यूॅ है।
बेवफाई का हुनर भी है वफादारी में
इक चेहरे पे तेरे दुसरा चेहरा क्यॅू है।
उम्र भर जिसकी मोहब्बत पे मुझे नाज रहा
सोचता हु कि वही आज पराया क्यूॅ है।
खूबसूरत गज़ल को यहाँ साझा करने के लिए आभार
ReplyDeletevery nice post, dhanyawaad
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ग़ज़ल...
ReplyDelete"गम के दरिया के उस पार है खुशी का साहिल
ReplyDeleteइश्क करता है तो रूसवाई से डरता क्यूॅ है"
बढ़िया
खूबसूरत ग़ज़ल.......बाँटने का शुक्रिया|
ReplyDeletebhut umda gazal...
ReplyDeleteग़ज़ल है तो अच्छी भाई.
ReplyDeleteरचनाकार को बधाई.
ग़ज़ल तो बहुत अच्छी है, जिनकी भी हो उन्हें बधाई और आपके प्रति आभार।
ReplyDeletebahut khubsoorat ghazal.....
ReplyDeleteबेवफाई का हुनर भी है वफादारी में
ReplyDeleteइक चेहरे पे तेरे दुसरा चेहरा क्यॅू है।
thanks for sharing with us .
.
bahut khub.....aabhar ham sabke sath ise bantane ke liye
ReplyDelete