इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Monday, August 1, 2011


कुछ दिनों पहले ये ग़ज़ल मेरे मेल पर आया हुआ था। ये रचना किसकी है मुझे नही मालुम। मैं उसे हु ब हु यहॉ दे रहा हुॅ।



तु अगर मेरा नही तो फिर ऐसा क्यूॅ है
मेरी ऑखों से तेरे ख्वाब का रिश्ता क्यूॅ है।

रास क्यूॅ आता नही मुझको खुशी का मौसम
गम का बादल मेरी आखों से बरसता क्यूॅ है।

गम के दरिया के उस पार है खुशी का साहिल
इश्क करता है तो रूसवाई से डरता क्यूॅ है।

बेवफाई का हुनर भी है वफादारी में
इक चेहरे पे तेरे दुसरा चेहरा क्यॅू है।

उम्र भर जिसकी मोहब्बत पे मुझे नाज रहा
सोचता हु कि वही आज पराया क्यूॅ है।

11 comments:

  1. खूबसूरत गज़ल को यहाँ साझा करने के लिए आभार

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुंदर ग़ज़ल...

    ReplyDelete
  3. "गम के दरिया के उस पार है खुशी का साहिल
    इश्क करता है तो रूसवाई से डरता क्यूॅ है"

    बढ़िया

    ReplyDelete
  4. खूबसूरत ग़ज़ल.......बाँटने का शुक्रिया|

    ReplyDelete
  5. ग़ज़ल है तो अच्छी भाई.
    रचनाकार को बधाई.

    ReplyDelete
  6. ग़ज़ल तो बहुत अच्छी है, जिनकी भी हो उन्हें बधाई और आपके प्रति आभार।

    ReplyDelete
  7. बेवफाई का हुनर भी है वफादारी में
    इक चेहरे पे तेरे दुसरा चेहरा क्यॅू है।

    thanks for sharing with us .

    .

    ReplyDelete
  8. bahut khub.....aabhar ham sabke sath ise bantane ke liye

    ReplyDelete