चित्र गुगल साभार
15 अगस्त यानि देश की आजादी का दिन। 15 अगस्त 1947 ही वो दिन था जब सही मायने में एक देश का उदय हुआ जिसका नाम भारत है। वरना इससे पहले तो ये कई टुकड़ो में बटॉ हुआ था। ये देश ना जाने कितने खुनी दास्तानों को अपने अदंर समेटे हुए है। कई सौ सालों की गुलामी के बाद यहॉ के लोगों ने आजादी की हवा में सॉस ली। बहुत अच्छा लगता है जब हमारे देश के प्रधानमंत्री लालकिले के प्राचीर पर झडोंत्तोलन के बाद राष्ट्र को संबोधित करते है। जगह जगह सरकारी महकमों में राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी जाती है। हम आजादी के उन वीर सपुतों को याद करते है जिन लोगों ने अपने जान की परवाह नही करते हुए हमें इस मुकाम तक पहुॅचाया है।
लेकिन क्या हमें ऐसा नही लगता कि ये एक नाटक से ज्यादा कुछ नही है। माफ किजिएगा मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुॅचाना या किसी बहस को जन्म देना नही है। एक आजाद देश के नागरिक होने के नाते कुछ बातें दिल में आई है जिसे मैं यहॉ लिख रहा हुॅ। आजादी क्या है और इसके क्या मायने है? हमसे ज्यादा आप सभी बुद्धिजीवी लोग इस बात को बेहतर समझते होगें और आशा करता हुॅ कि हमें भी इससे अवगत कराने का कष्ट करेगें। लेकिन जहॉ तक मैं समझता हुॅ कि ये अभी भी एक विचारणीय प्रश्न हो सकता है कि क्या वास्तव में हम आजाद है? क्या सिर्फ देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना आजादी है, क्या सिर्फ अपने तरीके से जीवन जीना आजादी है, या फिर आजादी का मतलब एक ऐसे राष्ट्र निर्माण से है जहॉ लोग खुशी से अपनी जिदंगी बसर कर रहे हो, जहॉ कोई भुखे पेट नही सोता हो, हरेक हाथ को काम हो, जहॉ सभी को बराबर का दर्जा दिया जाता हो। जरा याद करने की कोशीश किजिए भगत सिंह ने कहा था कि हमें एक ऐसे राष्ट्र को निर्माण करना है जहॉ सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हो, अमीर वर्ग गरीब वर्ग का शोषण नही करे। कहीं ऐसा न हो कि हम आजाद तो हो लेकिन सत्ता गोरे लोगों की हाथों से निकल कर भुरे लोगों के हाथों में आ जाए।
हम आजाद तो हो गए लेकिन जैसे जैसे समय गुजरता गया हम आजादी के मुल्यों को नजरअदांज करते गए। आजादी के वो दिवाने किस्से कहानियों तक सीमित होकर रह गए। उनका अस्तित्व सिर्फ दुसरों को उपदेश देने के लिए रह गया उस पर अमल करने के लिए नही। अब 15 अगस्त का दिन हमारे अदंर कोई जोश पैदा नही करता बल्कि ये हमारे लिए एक सार्वजनिक छुट्टी का दिन होता है। इस दिन को हम तिरंगा फहरा कर एवं उसे सलामी देकर हम सिर्फ खानापूर्ति करते है। जहॉ तक मुझे लगता है कि 15 अगस्त हम इसलिए नही मनाते है कि हम इसके द्वारा उन वीर सपुतों के प्रति आभार प्रकट करते है या उनके विचारों को अमल करने की शपथ लेते है या फिर देश के प्रति अपने उत्तरदायित्वोे के निर्वहन हेतू दृढ़ सकंल्प होते है बल्कि इसे हम एक रूटीन की तरह पुरा करते है।
आज जो इंसान देशभक्ति, आजादी, सच्चाई और ईमानदारी की बातें करता है वो बेवकुफ कहलाता है और जो रिश्वत, भ्रष्टाचार एवं पैसे की बात करता है वो चालाक। आज के इस उपभोक्तावादी समाज में सभी ये जानते है कि देशभक्ति के जज्बे, ईमानदारी और सच्चाई से उनके यहॉ टेलिविजन, फ्रिज, लंबी-लंबी गाड़िया और एयरकंडीशन नही आ सकते। उसके लिए चाहिए पैसा और ईमानदारी से आप दो वक्त की रोटी जुटा सकते है ये सारी वस्तुए नहीं। कितने लोग है जो सही मायने में देश के प्रति सच्ची श्रद्धा रखते है। आज लोगों की सच्ची श्रद्धा पैसों के प्रति है चाहे वो आम आदमी हो या फिर ससंद में बैठे नेता। वरना क्या वजह है कि आरक्षण जैसी फिल्म पर तो ये लोग हो हल्ला मचाते है और इसके प्रदर्शन पर रोक लगाते है पर जब बात काले धन की वापसी का हो तो सभी लोगों को सॉप सुंघ जाता है।
गुलाम तो हम आज भी है अपनी ओछी मानसिकता के, अपने दब्बुपन के, लालच के। क्या फर्क है आज की आजादी और उस गुलामी में। देखा जाए तो ज्यादा कुछ नही। पहले अंग्रेजों ने इस देश को लूट कर खोखला किया और आज हम खुद ही इस देश को लुट रहे है। जिसकी जैसी सहुलियत वैसे ही लूटने में लगा हुआ है। पहले चंद गोरों ने इस देश पर राज किया आज चंद पैसे वाले इस देश पर राज कर रहे है। नियम, कायदा, कानुन पहले भी गरीबों के लिए थे और आज भी गरीबों के लिए ही है। अमीर और रसुख वाले लोग तो आज भी कानुन को अपने तरीके से ही इस्तेमाल करते है। जो रक्षक है वही भक्षक बना हुआ है। क्या हम अब भी यही कहेगें कि हम आजाद है।
सार्थक चिन्तन .....समसामयिक आलेख, स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDelete‘‘ये मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी
ReplyDeleteजो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी’’
‘‘स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं...’’
सार्थक चिन्तन .....
ReplyDeleteजिन शहीदों के वलिदान से आजादी मिली उनको नमन जय हिंद ....
सार्थक चिंतन....
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteHAPPY INDEPENDENCE DAY!
सार्थक तथा प्रेरक आलेख - स्वतंत्रता दीवाल की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteपरिवर्तन संसार का नियम हैं. बहुत कुछ और जल्द ही होगा. बस हमें दर्शक नहीं बनना हैं.योगदान छोटा ही सही, देना ही होगा.
ReplyDelete--आजादी के मायने और असली आजादी. - http://goo.gl/Q8I6M
सार्थक चिंतन....मगर आपने सच ही लिखा है..देखिये जब मैं कुछ ऐसे व्यक्तियों से मिलता हूँ जिन्हें बस सिर्फ स्वार्थ और स्वार्थ की लगी रहती है तो सोचता हूँ की शायद सभी समस्याओं की जड़ व्यक्ति का मूल चारित्रिक पतन है जिसे दुबारा खड़ा करने की महती आवश्यकता है...
ReplyDeleteआभार.
सार्थक आलेख
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!
जय हिंद जय भारत
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