चित्र गुगल साभार
बहुत अजीब लगता है
जब लोग
जिदंगी की बात करते है।
जबकि
हर गुजरता लम्हा
हमें मौत के करीब
ले जाता है।
आखिर लोग
सच से इतना
दुर क्यों भागते है।
या फिर
सच सुनने की
हमें आदत ही नही है।
क्यों हम ख्वाब को
हकीकत समझ
उसपर विश्वास करते है।
हम क्यों
उसके ही करीब
रहना चाहते है जो
एक न एक दिन
हमें छोड़कर चला जाएगा।
शायद इसलिए ही
लोग कहते है कि
सच बहुत ही
कड़वा होता है और
झुठ मीठा।
सही कहा आपने, सच बहुत ही कड़वा होता है और झुठ मीठा.....
ReplyDeleteहम क्यों
ReplyDeleteउसके ही करीब
रहना चाहते है जो
एक न एक दिन
हमें छोड़कर चला जाएगा।
इसे हम स्वीकार नहीं करना चाहते इस सोच से दुःख मिलता है भ्रम में जीना चाहते हैं ...अच्छी प्रस्तुति
सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteशायद इसलिए ही
ReplyDeleteलोग कहते है कि
सच बहुत ही
कड़वा होता है और
झूठ मीठा।
सच और झूठ का सही परिचय।
...................
दुर-दूर
झुठ-झूठ
सच झूठ
ReplyDeletehttp://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2011/06/blog-post.html
हर किसी का
कहीं एक छुपा सच होता हैं
जो बस एक झूठ था
जो जीया तो जाता हैं
पर जीवन नहीं दे पाता हैं
ना जाने क्यूँ दूसरे
तलाशते रहते हैं
दूसरो के इस सच को
किसी का जिन्दगी का सच
शायद टिका होता हैं
किसी के जिंदगी के झूठ पर
i liked your poem though i came here as the the title of your poem was same as of my poem
बहुत सच्ची अभिवयक्ति....
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने।
ReplyDelete------
ब्लॉगसमीक्षा की 27वीं कड़ी!
आखिर इस दर्द की दवा क्या है ?
bilkul sahi kaha aapne....bhaut hi acchi rachna...
ReplyDeleteसही सच कोई नहीं सुनना चाहता यहाँ तक हम अपना सच भी नहीं सुनना चाहते......खूबसूरत रचना|
ReplyDeleteपरम सत्य और परम सत्ता का ज्ञान कराती पवित्र रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता और उसके भाव..
ReplyDeleteबेहतरीन भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteसच्ची अभिवयक्ति...
ReplyDeleteशायद इसलिए ही
ReplyDeleteलोग कहते है कि
सच बहुत ही
कड़वा होता है और
झुठ मीठा।
...शाश्वत सत्य की बहुत गहन और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..