चित्र गूगल साभार
दिल के जख्मों को मुस्कुराने तो दो
यादों में इसे तेरी डूब जाने तो दो।
लौटकर आएगा फिर से बहारों का हुजूम
मौसम-ए-खिंजा को एक बार गुजर जाने तो दो।
चाहे जितना घना हो अंधेरा, मिट जाएगा
शब-ए-चराग को रौशन हो जाने तो दो।
होगें शामिल एकदिन वो भी हमारी महफिल में
उनके दिल की हसरतों को मचल जाने तो दो।
फिर से छेड़ेगें कोई राग इन फजाओं में
कोई अफसाना मुकम्मल हो जाने तो दो।
बहत ही सुन्दर गजल...
ReplyDelete:-)
बहुत खूब |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeletenew post बनो धरती का हमराज !
किसी भी कार्य के लिए वक्त तो लगता है. सुंदर रचना.
ReplyDeleteप्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति.......
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