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Tuesday, June 21, 2011

दरिया-ए-अजाब



चित्र गुगल साभार



जब से तुम्हें चाहा मैनें
क्या कहे क्या हाल है।
जिंदगी अब जिंदगी नहीं
एक दरिया-ए-अजाब है।

तन्हाई में भी चैन नहीं
महफिल में भी दिल उदास है।
कहॉ जाउॅ क्या करू मैं
अब तिश्नगी बेहिसाब है।

दिल पर अब इख्तियार नहीं
मुश्किल हुआ इजहार है।
काश! तुम मेरे होते
कितना हॅसी ये ख्वाब है।

19 comments:

  1. इस तिश्नगी को दूर करने में पूरी उम्र निकल जाती है | खुबसूरत रचना ,आभार

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  2. kitna hasi ye khwab hai... aur kitni hasi ye rachna hai... bhut khubsurat....

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  3. कितना हसीन ये ख्वाब है....अमित जी बहुत सुन्दर !

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  4. दिल पर अब इख्तियार नहीं
    मुश्किल हुआ इजहार है।
    काश! तुम मेरे होते
    कितना हॅसी ये ख्वाब है।

    ओह ! ये पंक्तियाँ तो दिल को छू गई....

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  5. कुछ ख़्वाब हकीकत से ज़ियादा खूबसूरत होते हैं.

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  6. खुबसूरत रचना ,आभार|

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  7. ख्वाब ही सही खूबसूरत तो है ..अच्छी प्रस्तुति

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  8. दिल पर अब इख्तियार नहीं
    मुश्किल हुआ इजहार है।
    काश! तुम मेरे होते
    कितना हॅसी ये ख्वाब है।

    बहुत सुंदर,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  9. बहुत ही सहज और सरल अभिव्यक्ति बधाई .स्पोतेनिअस फ्लो ,स्वतः प्रह्वाहित भाव धार .

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  10. तन्हाई में भी चैन नहीं
    महफिल में भी दिल उदास है।
    कहॉ जाउॅ क्या करू मैं
    अब तिश्नगी बेहिसाब है...

    Awesome !

    .

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  11. दिल पर अब इख्तियार नहीं
    मुश्किल हुआ इजहार है।
    काश! तुम मेरे होते
    कितना हॅसी ये ख्वाब है।

    बहुत खुबसूरत अशआर है जनाब....वाह

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  12. काश! तुम मेरे होते
    कितना हॅसी ये ख्वाब है। बस ऐसे ख्वाब ही हसीन होते हैं यथार्थ नही। अच्छी रचना
    बधाई।

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  13. ये प्यार का एहसास ही तो भीड़ में खुद को अकेला कर देता है --

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  14. khaab bhi khoobsurat na ho to insaan jayega kahan :) sunder abhivyakti.

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  15. प्रेम विरह की सुन्दर रचना ..........

    साथ में चित्र का संयोजन तो लाजवाब है अमित जी

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  16. दिल को छू गई पंक्तियाँ....

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  17. कई बार ये प्यार आजाब बन जाता है ...खुद पे इख्तियार नहीं रहता ... अच्छा एहसास है ...

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  18. काश तुम मेरे होते .....

    ख्वाहिशों को लफ़्ज़ों में पिरो कर
    बहुत सुन्दर रचना कही है
    बधाई .

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