इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Wednesday, November 2, 2011

मैं और मेरी कवितायेँ

चित्र गूगल साभार 



तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूँ
और मेरे बिना तुम ।
एक तुम ही तो हो
जो हर वक्त मेरे साथ रहती हो ।
मेरी तनहाइयों में भी
तुम्हारा वजूद इतनी मजबूती के साथ
अपना आभास करता है कि
मैं चाहकर भी तुम्हे नकार नहीं सकता ।
अपने हर सुख और दुःख को
ना जाने कब से मैं
तुम्हारे साथ साझा करता आ रहा हूँ ।
तुमने हर कदम
मेरा हौसला बढाया है ।
जब भी गिरा हूँ मैं
या फिर दुनिया वालों ने
जब सताया है
तुम्हारे पास ही तो
आया हूँ मैं ।
अपनी आगोश में लेकर
ना जाने कितनी बार
तुमने मुझे टूटने से
बचाया है ।
पहले लगता था
कि शायद
तुम मेरी सोच तक ही सीमित हो ।
लेकिन अब एहसास होता है कि
तुम्हारे बिना मेरा वजूद
हो ही नहीं सकता ।
हम दोनों आपस में
कुछ इस तरह से जुड़े हैं
जैसे शरीर के साथ
सांसों कि डोर ।
अक्सर कुछ इसी तरह की
बातें किया करते है
जब साथ होते हैं
मैं और मेरी कवितायेँ ।

23 comments:

  1. चित्र का चुनाव बहुत ही बढिया है.
    कविता भी उतनी ही भावमयी...!

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया सर!
    ---
    कल 04/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. वाह क्या अन्दाज़ है बात करने का।

    ReplyDelete
  4. अक्सर कुछ इसी तरह की
    बातें किया करते है
    जब साथ होते हैं
    मैं और मेरी कवितायेँ ।एक अलग ही अंदाज़ में रचना.....

    ReplyDelete
  5. आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आया /क्षमा करें

    ReplyDelete
  6. .बहुत खूब /अति सुंदर //

    ReplyDelete
  7. आज 03 - 11 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


    ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
    _____________________________

    ReplyDelete
  8. आज 03 - 11 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


    ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
    _____________________________

    ReplyDelete
  9. क्या खूब अंदाज़-ए-बयां.............सुभानाल्लाह|

    ReplyDelete
  10. सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

    ReplyDelete
  11. मैं और मेरी कवितायेँ...
    यही तो हैं जो हर वक़्त साथ होती हैं...
    बहुत सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
  12. मैं और मेरी कवितायेँ ।

    behtareen

    www.poeticprakash.com

    ReplyDelete
  13. अमित जी ,..क्या खूबशुरती से आपने कविता लिखी पढकर आनंद आ गया..लाजबाब पोस्ट...
    मेरे नये पोस्ट पर स्वागत है ....

    ReplyDelete
  14. सुख हो या दुख,अपना हो या औरों का-भावों की अभिव्यक्ति महत्वपूर्ण है। कविता से सशक्त माध्यम भला इसके लिए और क्या होगी!

    ReplyDelete
  15. सच ही कहा आपने यह कुछ वैसे ही बात है जैसे मैं और मेरी तनहाई अक्सर ये बातें किया करते है तुम होती तो ऐसा होता तुम होती तो वैसा होता ...खैरलेखन से अच्छा और कोई माध्यम मुझे भी और कोई नहीं लगता यह भी समय की तरह हर मर्ज की दावा बनजाता है ..... बहुत बढ़िया दिल को छु लेने वाली अपनी सी कविता

    ReplyDelete
  16. बहुत सुन्दर वाह!
    सादर...

    ReplyDelete
  17. पहले लगता था
    कि शायद
    तुम मेरी सोच तक ही सीमित हो ।
    लेकिन अब एहसास होता है कि
    तुम्हारे बिना मेरा वजूद
    हो ही नहीं सकता ।

    waah....ati sundar

    ReplyDelete
  18. अक्सर कुछ इसी तरह की
    बातें किया करते है
    जब साथ होते हैं
    मैं और मेरी कवितायेँ ।

    कविताएं भी सुख-दुख की संगिनी बन जाती हैं।
    अच्छी कविता।

    ReplyDelete
  19. बहुत खूब! बहुत बढ़िया..

    ReplyDelete