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Friday, September 10, 2010

दिल्लगी


तुमने की दिल्लगी, हमने तो तुम्हें दिल में बसाया है।
तुम्हें ना सही, तेरी यादों को अपना बनाया है।

आज भी ये निगाहें तेरी राह देखती है।
आने-जाने वालों से तेरा पता पूछती है।

इस दिले नादान को आज भी तेरा इन्तजार है।
झूठा ही सही एक बार तो कहा होता, हमें तुमसे प्यार है।

मैं कोई वक्त नहीं जिसे यूं ही भूल जाओगी तुम,
एक एहसास हूं मैं हर पल करीब पाओगी तुम।

आज बेशक मेरे प्यार की जरूरत नहीं है तुम्हें,
एक दिन आएगा, तब बहुत पछताओगी तुम।

तलाश करोगी मुझे दर-ब-दर सहराओं में
फिर भी मेरे अक्स को छू नहीं पाओगी तुम।

खुदा की एक हंसी नेमत को तुने ठुकराया है,
कयामत तक भी कहीं सुकूं नहीं पाओगी तुम।

सभी को ईद की शुभकामनाएं।

1 comment:

  1. एक एहसास हूं मैं हर पल करीब पाओगी तुम।
    dil ki awaz hai achchha laga.

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