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Wednesday, September 1, 2010

ऐतबार

वो और होंगे जिन्हें मौत आ गई होगी,
दर्द सहकर ही जिन्दगी को जिया है मैंने।
कभी अपनों ने रूलाया,
कभी दुनिया ने सताया,
हंसते-हंसते अश्कों को पिया है मैंने,
दर्द सहकर ही जिन्दगी को जिया है मैंने।
अपनी तो आदत है कि,
हर किसी को अपना मान लेते हैं।
बाद में वो लोग ही,
हमारी जान लेते हैं।
हर किसी पे खुद से ज्यादा
ऐतबार किया है मैनें,
दर्द सहकर ही जिन्दगी को जिया है मैंने।

3 comments:

  1. शानदार , रचना में दम है!!!

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  2. वो और होंगे जिन्हें मौत आ गई होगी,
    दर्द सहकर ही जिन्दगी को जिया है मैंने।

    बहुत ही सुन्दर...........

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  3. आपकी बात पर ऐतबार आ गया. जारी रखिये-

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