इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।

Wednesday, March 23, 2011

आखरी शाम


चित्र गुगल साभार




जानता हुॅ मैं
तुम मुझसे प्यार नहीं करती।
उस दिन से ही
जब तुम
मेरी जिदंगी में आई थी।
इशारों ही इशारों में
कई बार
तुमने कोशीश भी की
मुझे बताने की।
बावजुद इसके
मैं तुमसे बेइन्तहॉ
मोहब्बत करता हॅु।
उस परवाने की तरह
जो जानता है कि
शमॉ की आगोश में
सिमटते ही
उसकी जिदंगी की
आखरी शाम हो जाएगी।

21 comments:

  1. उस परवाने की तरह
    जो जानता है कि
    शमॉ की आगोश में
    सिमटते ही
    उसकी जिदंगी की
    आखरी शाम हो जाएगी।

    kya baat hai ! aamin !!

    ReplyDelete
  2. होली की सपरिवार रंगविरंगी शुभकामनाएं |
    कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका

    ReplyDelete
  3. शमांकी किस्मत ही कुछ ऐसी है अच्छी लगी, धन्यवाद

    ReplyDelete
  4. मेरी जिदंगी में आई थी।
    इशारों ही इशारों में
    कई बार
    तुमने कोशीश भी की
    मुझे बताने की।


    समर्पित प्यार की भावना को बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है ...आपका आभार

    ReplyDelete
  5. यही है मोहब्बत। जानकर भी अनजान रहना। अच्छी रचना। बधाई।

    ReplyDelete
  6. सच्ची मोहब्बत को बड़े ही खूबसूरत लफ्ज दियें हैं आपने. आभार.

    ReplyDelete
  7. यही तो प्यार होता है
    बहुत सुन्दर कविता

    तू करे ना करे तुझे प्यार करता रहूँगा
    चाहे तू ना भी आये इंतजार करता रहूँगा

    हार्दिक शगुन पर आपका स्वागत है
    हार्दिक शगुन

    ReplyDelete
  8. क्या बात है सर!
    बहुत बढ़िया.

    सादर

    ReplyDelete
  9. उस परवाने की तरह
    जो जानता है कि
    शमॉ की आगोश में
    सिमटते ही
    उसकी जिदंगी की
    आखरी शाम हो जाएगी।

    यही तो प्यार होता है... सब कुछ जानकर भी अनजाना सा..
    बहुत सुन्दर .......

    ReplyDelete
  10. 'मैं तुमसे बेइन्तहां
    मोहब्बत करता हूँ
    उस परवाने की तरह
    जो जानता है कि
    शमा कि आगोश में
    सिमटते ही
    उसकी जिंदगी की
    आखिरी शाम हो जाएगी'
    ************************
    बहुत सुन्दर अमित जी , यही तो शाश्वत सच्चा प्रेम है !

    ReplyDelete
  11. प्यार अक्सर एक तरफ़ा ही होता है...

    ReplyDelete
  12. बहुत खूब.
    मुहब्बत की पाकीज़गी एक तरफ़ा होने में ही है.
    सलाम.

    ReplyDelete
  13. बहुत खूब लिखा है आपने
    दिल को पढने की भाषा जानते है आप ...

    ReplyDelete
  14. उस परवाने की तरह
    जो जानता है कि
    शमॉ की आगोश में
    सिमटते ही
    उसकी जिदंगी की
    आखरी शाम हो जाएगी।

    बहुत सुन्दर..सच्चा प्यार परिणाम की कहाँ चिंता करता है..बहुत भावपूर्ण

    ReplyDelete
  15. बस यही तो है प्यार करनेवाले की असली पहचान.

    ReplyDelete
  16. baat bilkul sahi kaha aapne
    pyar me ye ek sachchai hai

    parwane kya jane
    "shamaa ke fitrat ko"
    use to pyar aata hai
    wo to bas pyar hin jane.

    ReplyDelete
  17. शमॉ की आगोश में
    सिमटते ही
    उसकी जिदंगी की
    आखरी शाम हो जाएगी।

    अरे ऐसा नहीं है अमित जी.चलिए किसी का बड़ा मौजूं एक शेर आपको सुनाते हैं:-

    शमां ने आग रखी सर पे क़सम खाने को.
    बाखुदा मैंने जलाया नहीं परवाने को.

    ReplyDelete
  18. उस परवाने की तरह
    जो जानता है कि
    शमा की आगोश में
    सिमटते ही
    उसकी जिदंगी की
    आखरी शाम हो जाएगी।

    कविता बहुत प्रभावशाली है।
    शुभकामनाएं।

    ReplyDelete