चित्र गुगल साभार
इश्क करना गर गुनाह है
तो बेशक मैं गुनहगार हुँ।
आशिक हुँ मैं
तेरी मोहब्बत का तलबगार हुँ।
तेरा प्यार जन्नत है मेरा
तेरे प्यार पर मैं दोनों जहाँ वार दूँ।
आशिक हुँ मैं
तेरी मोहब्बत का तलबगार हूँ।
तलाश करती है जिसे तेरी निगाहें
गौर से देखो मैं वही बहार हुँ।
आशिक हुँ मैं
तेरी मोहब्बत का तलबगार हुँ।
तुम लाख करो कोशिश मुझसे नजरे चुराने की
तेरे दिल को जो सुकून दे मैं वो करार हुँ।
आशिक हूँ मैं
तेरी मोहब्बत का तलबगार हूँ।