इस ब्लाग की सभी रचनाओं का सर्वाधिकार सुरक्षित है। बिना आज्ञा के इसका इस्तेमाल कापीराईट एक्ट के तहत दडंनीय अपराध होगा।
Monday, October 25, 2010
जुल्म की इन्तेहा
मैंने तुम्हे चाहा
ये मेरे इश्क की इब्तदा थी
अब देखना ये है कि
तेरे जुल्म की
इन्तेहा क्या है।
4 comments:
Saleem Khan
October 27, 2010 at 2:43 AM
OH GREAT !
Reply
Delete
Replies
Reply
Anupam Karn
October 31, 2010 at 6:38 AM
बढ़िया !!
Reply
Delete
Replies
Reply
Anonymous
November 2, 2010 at 8:24 AM
दिल जीत लिया एहसास भाई
Reply
Delete
Replies
Reply
Anonymous
January 13, 2011 at 1:41 AM
नव वर्ष २०११ की मंगल कामना
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
OH GREAT !
ReplyDeleteबढ़िया !!
ReplyDeleteदिल जीत लिया एहसास भाई
ReplyDeleteनव वर्ष २०११ की मंगल कामना
ReplyDelete