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Saturday, August 20, 2011

जन लोकपाल बिल ही सही है।



जब से अन्ना हजारे जी का भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन शुरू हुआ है ऐसा लगता है भारत दो टुकड़ों में बॅट गया है। एक टुकडे़ में रह रहे लोग मानते है कि जो हो रहा है सही हो रहा है और दुसरे वाले लोग उसे गलत मानते है। उनकी भी अपनी दलीलें हैं मसलन ये संसंद की अवमानना है, कोई एक इंसान किसी भी तरह का कानुन बनाने के लिए बाध्य नही कर सकता, कानुन बनाना संसंद का काम है इत्यादि, इत्यादि। कॉग्रेस के लोगों का भी कहना है कि जब जनता ने उन्हे चुन कर संसंद में भेजा है तो उन्हें अपना काम करने देना चाहिए और अगर किसी को ये गलत लगता है तो वो जनता के बीच जाय और चुनाव में जीत कर आए। मतलब ये कि अगर जनता ने आपकों चुन लिया तो आप पॉच सालों तक कुछ भी कर सकते हैं और जनता को कुछ भी कहने का हक नही है। ‘साहब’ ये जनतंत्र है और जनतंत्र में अगर जनता आपकों सर माथे पर रखती है तो आपको वहॉ से गिरा भी सकती है। जो लोग कुर्सी तक पहुॅच जाते है वो अपने आप को खुदा समझने लगते है। आपके खिलाफ वही लोग तो खड़े है जिन्होनें आपको संसंद में भेजा है। ये चुनाव ही तो है। फर्क सिर्फ इतना है कि चुनाव में लोगों का मत पेटियों या इलेक्ट्रानिक्स मशीनों में बंद होता है और यहॉ खुलेआम मत प्रयोग हो रहा है। संसंद जनता का ही प्रतिरूप है। जनता आपको अपना प्रतिनीधि बना कर भेजती है ताकि आप उसके परेशानियों और सहुलियतों का ख्याल रखें। आप ये हमेशा ख्याल रखें कि आप जो वहॉ बोलते है वो आप नही 125 करोड़ भारतीय जनता की आवाज होती है। अगर वही जनता खुलेआम अपना हक मॉग रही है तो आपकों तकलीफ क्यों हो रही है।

मैं भी मानता हुॅ कि भ्रष्टाचार को जड़ से नही मिटाया जा सकता है। लेकिन इसे कम तो किया जा सकता है और इसे कम करने के लिए एक सख्त कानुन की बेहद आवश्यकता है। अभी का कानुन या फिर सरकारी लोकपाल बिल इतना लचीला है कि कोई भी इसका माखौल उड़ाता नजर आता है। अगर ऐसा नही है तो जरा बताएॅ कि कितने ऐसे नेता है जिन्हें भ्रष्टाचार मामले में सजा हुई है। कानुन सबके लिए समान होता है आप भी इससे अछुते नही है। और फिर अगर आपका दामन पाक साफ है तो इससे डरते क्यों है। 
भ्रष्टाचार को काबु में करने के लिए जन लोकपाल बिल ही सही है सरकारी लोकपाल बिल नही। इसलिए सरकार को अन्ना हजारे टीम से बात करनी चाहिए और करोड़ों भारतीयों के आवाज का सम्मान करना चाहिए।


3 comments:

  1. अन्ना हजारे के आंदोलन के पीछे विदेशी हाथ बताना ‘क्रिएट ए विलेन‘ तकनीक का उदाहरण है। इसका पूरा विवरण इस लिंक पर मिलेगा-
    ब्लॉग जगत का नायक बना देती है ‘क्रिएट ए विलेन तकनीक‘ Hindi Blogging Guide (29)

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  2. सरकार इस बात को शुरू से जानती है पर हर बार की तरह वो जानती है की देश के लोग जल्दी ही भूल जाते हैं ... वो इन्तेज़ार करना चाहित है इस आंदोलन के टूटने का ...

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  3. karono logon ki bhavnaon ko darkinar karte hue koi bhi dalis dena bekar hai..loktantra mein janta ki bhavnna sarvopari hai

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