है पुरख़तर (मुश्किल) जिदंगी के रास्ते
जरा सभंल कर चला किजिए।
बॉटिए अमृत सभी को
और खुद गरल पिया किजिए।
भरते हैं जो नफरत दिलों में
उनके लिए ही दुआ किजिए।
प्यार ही प्यार होगा हर दिल में
दुश्मनों को भी गले लगा लिजिए।
न सोचिए क्या होगा अंजाम ए मोहब्बत
हर दिल में चराग ए इश्क जला दिजिए।
मिल जाएगी सारे जहॉ की खुशियॉ
गैरों के लिए खुद को मिटा दिजिए।
बॉटिए अमृत सभी को
ReplyDeleteऔर खुद गरल पिया किजिए।
क्या बात है .....
बड़े नेक ख्यालात हैं अमित जी ....
आमीन ....
बहुत भावुक हो भाई ...शुभकामनायें आपके लिए !
ReplyDeleteभरते हैं जो नफरत दिलों में
ReplyDeleteउनके लिए ही दुआ कीजिये
उम्दा शेर..सुन्दर भाव
प्रशंसनीय बहुत ही उम्दा रचना .....बधाई स्वीकार करें
ReplyDeleteभरते हैं जो नफरत दिलों में
ReplyDeleteउनके लिए ही दुआ कीजिये
सुंदर सोच ...बेहतरीन भाव..... सार्थक सन्देश
मिल जाएगी सारे जहॉ की खुशियॉ
ReplyDeleteगैरों के लिए खुद को मिटा दिजिए।
बहुत बढ़िया सर!
सादर
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
bahut sundar!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अमित जी
ReplyDeleteबॉटिए अमृत सभी को
ReplyDeleteऔर खुद गरल पिया किजिए
बहुत ही सुन्दर.......
बॉटिए अमृत सभी को
ReplyDeleteऔर खुद गरल पिया किजिए।
बहुत खूब! बहुत सुन्दर गज़ल..
इन्सानियत का संदेश देती सुन्दर कविता !
ReplyDeleteन सोचिए क्या होगा अंजाम ए मोहब्बत
ReplyDeleteहर दिल में चराग ए इश्क जला दिजिए।
kya baat hai
सुंदर सोच ...बेहतरीन भाव..... सार्थक सन्देश
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही सुन्दर शब्द ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति.
ReplyDeleteबढ़िया सोच .
आदर्शवादी ग़ज़ल.
सलाम.
good one ...
ReplyDeleteबांटिए प्यार सभी को....बहुत सुंदर। सार्थक और प्रेरक रचना।
ReplyDeleteभरते हैं जो नफरत दिलों में
ReplyDeleteउनके लिए ही दुआ कीजिए
उत्तम विचारों से सजी ग़ज़ल आत्मचिंतन के लिए बाध्य करती है।
बहुत सुंदर रचना .. बधाई
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